**जैतून (OLIVE ) -
जैतून भूमध्य सागरीय क्षेत्रों,एशिया एवं सीरिया में पाया जाता है। भारत में यह उत्तर पश्चिमी हिमालय, जम्मू कश्मीर, आंध्र-प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में पाया जाता है। इन वृक्षों के फलों से तेल निकाला जाता है। यह तेल उत्तम, स्वच्छ, सुनहरे रंग का तथा हल्की गंधयुक्त होता है। इसके फल अंडाकार, गोलाकार, १.३ -३.५ सेमी लम्बे, प्रथमतया हरित वर्ण के पश्चात में रक्त एवं पक्वावस्था में बैंगनी-नील कृष्ण वर्ण के होते हैं। कच्चे फलों का प्रयोग अचार एवं साग बनाने के लिए किया जाता है। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अक्टूबर से अप्रैल तक होता है।
इसके बीज में अवाष्पशील तेल पाया जाता है। इसके पुष्प अरसोलिक अम्ल पाया जाता है। इसके फल में तेल, ऑलिक अम्ल एवं मैसलिनिक अम्ल पाया जाता है।
आईये जानते हैं जैतून के विभिन्न औषधीय गुण :-
✏१- जैतून के कच्चे फलों को जलाकर, उसकी राख में शहद मिलाकर, सिर में लगाने से सिर की गंज तथा फुंसियों में लाभ होता है।
✏२-पांच मिली जैतून पत्र स्वरस को गुनगुना करके उसमें शहद मिलाकर १-२ बूँद कान में डालने से कान के दर्द में आराम होता है।
✏३- जैतून के कच्चे फलों को पानी में पकाकर उसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े से गरारा करने पर दांतों तथा मसूड़ों के रोग मिटते हैं तथा इससे मुँह के छाले भी ख़त्म होते हैं।
✏४- जैतून के तेल को छाती पर मलने से सर्दी, खांसी तथा अन्य कफज-विकारों का शमन होता है।
✏५- जैतून के तेल की मालिश से आमवात, वातरक्त तथा जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
✏६- जैतून के पत्तों के चूर्ण में शहद मिलाकर घावों पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।
✏७- जैतून के कच्चे फलों को पीसकर लगाने से चेचक तथा दुसरे फोड़े फुंसियों के निशान मिटते हैं। अगर शरीर का कोई भाग अग्नि से जल गया हो तो यह लेप लगाने से छाला नहीं पड़ता।
✏८- जैतून के पत्तों को पीसकर लेप करने से पित्ती,खुजली और दाद में लाभ होता है।
✏९- जैतून के तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है तथा सुंदरता बढ़ती है।
☀वंदे मातरम्।।
।।भारत माता की जय
-संकलित
FORWARDED AS RECEIVED
जैतून भूमध्य सागरीय क्षेत्रों,एशिया एवं सीरिया में पाया जाता है। भारत में यह उत्तर पश्चिमी हिमालय, जम्मू कश्मीर, आंध्र-प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में पाया जाता है। इन वृक्षों के फलों से तेल निकाला जाता है। यह तेल उत्तम, स्वच्छ, सुनहरे रंग का तथा हल्की गंधयुक्त होता है। इसके फल अंडाकार, गोलाकार, १.३ -३.५ सेमी लम्बे, प्रथमतया हरित वर्ण के पश्चात में रक्त एवं पक्वावस्था में बैंगनी-नील कृष्ण वर्ण के होते हैं। कच्चे फलों का प्रयोग अचार एवं साग बनाने के लिए किया जाता है। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अक्टूबर से अप्रैल तक होता है।
इसके बीज में अवाष्पशील तेल पाया जाता है। इसके पुष्प अरसोलिक अम्ल पाया जाता है। इसके फल में तेल, ऑलिक अम्ल एवं मैसलिनिक अम्ल पाया जाता है।
आईये जानते हैं जैतून के विभिन्न औषधीय गुण :-
✏१- जैतून के कच्चे फलों को जलाकर, उसकी राख में शहद मिलाकर, सिर में लगाने से सिर की गंज तथा फुंसियों में लाभ होता है।
✏२-पांच मिली जैतून पत्र स्वरस को गुनगुना करके उसमें शहद मिलाकर १-२ बूँद कान में डालने से कान के दर्द में आराम होता है।
✏३- जैतून के कच्चे फलों को पानी में पकाकर उसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े से गरारा करने पर दांतों तथा मसूड़ों के रोग मिटते हैं तथा इससे मुँह के छाले भी ख़त्म होते हैं।
✏४- जैतून के तेल को छाती पर मलने से सर्दी, खांसी तथा अन्य कफज-विकारों का शमन होता है।
✏५- जैतून के तेल की मालिश से आमवात, वातरक्त तथा जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
✏६- जैतून के पत्तों के चूर्ण में शहद मिलाकर घावों पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।
✏७- जैतून के कच्चे फलों को पीसकर लगाने से चेचक तथा दुसरे फोड़े फुंसियों के निशान मिटते हैं। अगर शरीर का कोई भाग अग्नि से जल गया हो तो यह लेप लगाने से छाला नहीं पड़ता।
✏८- जैतून के पत्तों को पीसकर लेप करने से पित्ती,खुजली और दाद में लाभ होता है।
✏९- जैतून के तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है तथा सुंदरता बढ़ती है।
☀वंदे मातरम्।।
।।भारत माता की जय
-संकलित
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