*सरल उपाय आरोग्य प्राप्ति के*
✏* प्रातः उठते ही लघुशंका के पश्चात पंजों के बल (कागासन में) बैठकर दो से पाँच गिलास पानी पीना चाहिए, इसे उषापान कहते हैं। पानी बगैर कुल्ला किए गिलास को होठ लगाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। ऐसा करने से मुख के अंदर की उपजी लार अधिक से अधिक पेट में जाती है जो पाचन तंत्र के लिए उत्तम कार्य करते हुए सरलता प्रदान करती है।
✏* दो मिनट टहलने के पश्चात शौच हेतु जाएँ। फिर मंजन आदि कर घूमने जाना चाहिए। प्रातःकालीन भ्रमण व इससे प्राप्त ताजा हवा के लिए कहा गया है कि सौ दवा का मुकाबला करने की शक्ति एक ताजा हवा में होती है। प्रतिदिन तीन किलोमीटर घूमने का नियम होना चाहिए, जिसमें एक किलोमीटर दौड़ने का प्रावधान हो तो शरीर का अंग-प्रत्यंग, श्वास-प्रश्वास यानी कि शरीर की आंतरिक एवं बाह्य चलन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है जिसे अन्य परिस्थितियों में श्रेष्ठ योगाचार्य के सान्निध्य में ही प्राप्त किया जा सकता है।
✏* स्नान-ध्यान कर प्रातः का भोजन 11 बजे तक अवश्य हो जाना चाहिए। भोजन तनावरहित हो व धीरे-धीरे खाना चाहिए। सायं का भोजन सूर्य की साक्षी में खाने का नियम होना चाहिए। जहाँ तक हो रात्रि में दस बजे तक सो जाना चाहिए, ताकि अगली सुबह शीघ्रता से उठा जा सके। यदि कोई पंद्रह दिन उक्त दिनचर्या को अपना लेता है तो इसके लाभ उसको प्रत्यक्ष दिखने लगेंगे। फिर तो बरसात में छतरी लगाकर व ठंड में स्वेटर पहनकर घूमने जाना पहली आवश्यकता हो जाएगी।
☀वंदे मातरम्।।
।।भारत माता की जय।।☀
जसे आले तसे पाठवले
संकलित माहिती
✏* प्रातः उठते ही लघुशंका के पश्चात पंजों के बल (कागासन में) बैठकर दो से पाँच गिलास पानी पीना चाहिए, इसे उषापान कहते हैं। पानी बगैर कुल्ला किए गिलास को होठ लगाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। ऐसा करने से मुख के अंदर की उपजी लार अधिक से अधिक पेट में जाती है जो पाचन तंत्र के लिए उत्तम कार्य करते हुए सरलता प्रदान करती है।
✏* दो मिनट टहलने के पश्चात शौच हेतु जाएँ। फिर मंजन आदि कर घूमने जाना चाहिए। प्रातःकालीन भ्रमण व इससे प्राप्त ताजा हवा के लिए कहा गया है कि सौ दवा का मुकाबला करने की शक्ति एक ताजा हवा में होती है। प्रतिदिन तीन किलोमीटर घूमने का नियम होना चाहिए, जिसमें एक किलोमीटर दौड़ने का प्रावधान हो तो शरीर का अंग-प्रत्यंग, श्वास-प्रश्वास यानी कि शरीर की आंतरिक एवं बाह्य चलन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है जिसे अन्य परिस्थितियों में श्रेष्ठ योगाचार्य के सान्निध्य में ही प्राप्त किया जा सकता है।
✏* स्नान-ध्यान कर प्रातः का भोजन 11 बजे तक अवश्य हो जाना चाहिए। भोजन तनावरहित हो व धीरे-धीरे खाना चाहिए। सायं का भोजन सूर्य की साक्षी में खाने का नियम होना चाहिए। जहाँ तक हो रात्रि में दस बजे तक सो जाना चाहिए, ताकि अगली सुबह शीघ्रता से उठा जा सके। यदि कोई पंद्रह दिन उक्त दिनचर्या को अपना लेता है तो इसके लाभ उसको प्रत्यक्ष दिखने लगेंगे। फिर तो बरसात में छतरी लगाकर व ठंड में स्वेटर पहनकर घूमने जाना पहली आवश्यकता हो जाएगी।
☀वंदे मातरम्।।
।।भारत माता की जय।।☀
जसे आले तसे पाठवले
संकलित माहिती
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