Wednesday, 15 February 2017

आरोग्यं

🍃 आरोग्यं :-
🙅 मुंहासों के दाग-धब्बे के लिए घरेलू नुस्खे -------

* टमाटर के रस में रुई भिगोकर दागो पर मलें। या टमाटर में नींबू की दस-बारह बूंदे मिलाएं इस मिश्रण को चेहरे पर मलने से दाग-धब्बे दूर होते हैं।

* जायफल को घिसकर दस पीसी काली मिर्च व थोड़े कच्चे दूध में मिलाकर पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं। दो घंटे बाद
चेहरा धो लें।

* मसूर की दाल और बरगद के पेड़ की नर्म पत्तियां पीसकर लेप करें

* सूखी हल्दी की गांठ को नींबू के रस में घिस कर लगाने से
भी दाग- धब्बे तेजी से मिटने लगते हैं।

* त्वचा पर जहां पर चकते हो उन पर नींबू का टुकड़ा रगड़े
या नींबू में फिटकरी भरकर रगड़े। इससे चकते हल्के पड़ जाएंगे
और त्वचा में निखार आएगा।

-संकलित

आरोग्यं

🍃 आरोग्यं-
चमत्कारी मेंहदी*
बालों को झड़ने से रोकने के लिए और मजबूत बनाने के लिए
बालों को भरपूर पोषण मिलना चाहिए। इसके लिए
मेहंदी बहुत फायदेमंद होती है। इसके
लिए एक कप सरसों के तेल को 4 चम्मच मेंहदी के
पत्तों के साथ उबाल लें। इस तेल को एक बोतल में डालकर रख लें
और रोज इस तेल को इस्तेमाल अपने बालों में करें। यह गंजेपन से
बचने के लिए बहुत ही कारगर उपाय माना जाता है।

आरोग्यं

🍃 आरोग्यं-
बेल पत्र के औषधीय प्रयोग ----
- बेल पत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व
अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है |

- मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में
सहायता मिलती है |

- इसके सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है |

- इसके पत्तों का काढा पीने से ह्रदय मज़बूत होता है |

- बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है
यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है . बेल पत्रों का रस
आँखों में डालने से ; लेप करने से लाभ होता है |

- इसके पत्तों के १० ग्राम रस में १ ग्रा. काली मिर्च
और १ ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह दोपहर और शाम
में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है |

- बेल पत्र , धनिया और सौंफ सामान मात्रा में ले कर
कूटकर चूर्ण बना ले , शाम को १० -२० ग्रा. चूर्ण
को १०० ग्रा. पानी में भिगो कर रखे , सुबह छानकर
पिए | सुबह भिगोकर शाम को ले, इससे प्रमेह और प्रदर
में लाभ होता है | शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर
होती है |

-संकलित

आरोग्यं

🍃 आरोग्यं :-
👂 कान में पीब (मवाद) होने परः

1⃣ पहला प्रयोगः
फुलाये हुए सुहागे को पीसकर कान में डालकर ऊपर से नीं बू के रस की बूँद डालने से मवाद निकलना बंद होता है।
मवाद यदि सर्दी से है तो सर्दी मिटाने के उपाय करें। साथ में सारिवादीवटी 1 से 3 गोली
दिन में दो बार व त्रिफला गुग्गल 1 से 3 गोली दिन में तीन बार सेवन करना चाहिए।

2⃣ दूसरा प्रयोगः
शुद्ध सरसों या तिल के तेल में लहसुन की कलियों को पकाकर 1-2 बूँद सुबह-शाम कान में डाल ने से फायदा होता है।

- संकलित

आरोग्यं

💮 आरोग्यं-
नीचे लिखी चीजों को अपने आहार में शामिल करें और पाएं गजब
की याददाश्त।
• ब्राह्मी-
ब्राह्मी का रस या चूर्ण पानी या मिश्री के साथ लेने से
याददाश्त तेज होती है। ब्राह्मी के तेल की मालिश से
दिमागी कमजोरी, खुश्की दूर होती है।
• फल-
लाल और नीले रंगों के फलों का सेवन भी याद्दाशत बढ़ाने में
याददाश्त बढ़ाने में मददगार होते हैं जैसे सेब और ब्लूबेरी खाने से
भूलने की बीमारी दूर होती है।
• सब्जियां-
बैंगन का प्रयोग करें। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व दिमाग के
टिशू को स्वस्थ्य रखने में मददगार होते हैं। चुकंदर और प्याज
भी दिमाग बढ़ाने में अनोखा काम करते हैं।
• गेहूं -
गेहूं के जवारे का जूस पीने से याददाश्त बढ़ती है। गेहूं से बने
हरीरा में शक्कर और बादाम मिलाकर पीने से भी स्मरण
शक्ति बढ़ती है।
• अखरोट -
अखरोट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स व विटामिन ई भरपूर मात्रा में
पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में मौजूद प्राकृतिक
रसायनों को नष्ट होने से रोककर रोगों की रोकथाम करते हैं। इसमें
उच्च मात्रा में प्रोटीन मौजूद होता है। रोजाना अखरोट के सेवन
से याददाश्त बढ़ती है।

-संकलित

आरोग्यं

🍃 आरोग्यं-
साधारण '' कारगर '' नुस्खे, जो हर दिन आपके काम आएंगे ---

- पके हुए केले को अच्छी तरह से मैश करें और चेहरे पर फेसपैक
की तरह लगाएं। करीब 15 मिनट बाद धो लें। ऐसा करने से चेहरे
की त्वचा में निखार आता है।

- दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू के रस का मिश्रण
त्वचा पर लगाएं। करीब 20 मिनिट बाद इसे साफ कर लें,
त्वचा नर्म और मुलायम हो जाएगी।

- एलोवेरा की पत्तियों से जेल निकालकर इसमें कुछ बूंदें नींबू रस
की मिलाएं। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने से चेहरा चमकने
लगता है।

- बादाम का तेल और शहद बराबर मात्रा में मिलाकर चेहरे पर
लगाएं। थोड़ी देर रखने के बाद चेहरा धो लें। ऐसा करने से
चेहरा निखर जाता है।

- व्हीट-ग्रास का जूस सुबह खाली पेट पीने से चेहरे
की लालिमा बढ़ती है और खून भी साफ होता है।

- काली कोहनियों को साफ करने के लिए नींबू को दो भागों में
काटें। उस पर खाने वाला सोडा डालकर कोहनियों पर रगड़ें। मैल
साफ हो जाएगा, कोहनियां मुलायम हो जाएंगी।

- बालों में मेथी दाने का पेस्ट बनाकर लगाएं, रूसी दूर हो जाएगी।

- अरण्डी के तेल को नाखूनों की सतह पर कुछ देर हल्के हल्के
मालिश करें। रोजाना सोने से पहले ऐसा करने से नाखूनों में चमक
आ जाती है।

-संकलित

Sunday, 12 February 2017

आलू

आलू

भारत और विश्व में आलू विख्यात है और अधिक उपजाया जाता है| आलू को हमेशा छिलके समेत पकाना चाहिए क्योंकि आलू का सबसे अधिक पौष्टिक भाग छिलके के एकदम नीचे होता है, जो प्रोटीन और खनिज से भरपूर होता है। आलू में स्टॉर्च, पोटाश और विटामिन ए व डी होता है।

यह अन्य सब्जियों के मुकाबले सस्ता मिलता है लेकिन है गुणों से भरपूर | आलू से मोटापा नहीं बढ़ता| आलू को तलकर तीखे मसाले, घी आदि लगाकर खाने से जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई मोटापा बढ़ाती है| आलू को उबालकर अथवा गर्म रेत या राख में भूनकर खाना लाभदायक और निरापद है|

आलू में विटामिन बहुत होता है| आलू को छिलके सहित गरम राख में भूनकर खाना सबसे अधिक गुणकारी है|

-भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है| आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है|

-चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है|

हरा भाग खतरनाक
-आलू के हरे भाग में सोलेनाइन विषैला पदार्थ होता है, जो शरीर के लिए नुकसानदायक होता है। आलू के अंकुरित हिस्से का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।

-आलुओं में प्रोटीन होता है, सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन होता है| आलू का प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत ही शक्ति देने वाला और बुढ़ापे की कमजोरी दूर करने वाला होता है|

-आलू में कैल्शियम, लोहा, विटामिन-बी तथा फास्फोरस बहुतायत में होता है| आलू खाते रहने से रक्त वाहिनियां बड़ी आयु तक लचकदार बनी रहती हैं तथा कठोर नहीं होने पातीं|

-इसको छिलके सहित पानी में उबालें और गल जाने पर खाएं।

-यदि दो-तीन आलू उबालकर छिलके सहित थोड़े से दही के साथ खा लिए जाएं तो ये एक संपूर्ण आहार का काम करते हैं|

-आलू के छिलके ज्यादातर फेंक दिए जाते हैं, जबकि अच्छी तरफ साफ़ किये छिलके सहित आलू खाने से ज्यादा शक्ति मिलती है|

- कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएँ|

- शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।|

-गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है| पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियाँ और रेत आसानी से निकल जाती हैं|

-उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएँ तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है|

-आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा|



- संकलित

खजूर

खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक और तुरंत शक्ति देने
वाला होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम,
पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस आदि प्रचुर
मात्रा में पाए जाते हैं। खजूर खाने से ब्लड तेजी से
बनता है। यह हृदय और मस्तिष्क को शक्ति देता है। साथ
ही, लीवर के रोगों में
लाभकारी होता है। इसके अलावा, यह वात-पित्त-कफ
नाशक होता है। यह हमारे पाचन तंत्र
को भी पूरी तरह से साफ करता है। आज
हम आपको खजूर के फायदों के बारे में बता रहे हैं।
1-बच्चों के लिए उपयोगी: कमजोर बच्चों को खजूर और
शहद मिलाकर खिलाना बहुत फायदेमंद होता है। जिन बच्चों में रात
को बिस्तर गीला करने की आदत
होती है, उन बच्चों को दूध के साथ खजूर खाने के लिए
दें।
2-पेट के रोग होंगे दूर :इससे आंतों को बल और शरीर
को स्फूर्ति मिलती है। खजूर आंतों के हानिकारक
जीवाणुओं को नष्ट करता है। इसके विशिष्ट तत्व ऐसे
जीवाणुओं को जन्म देते हैं,
जो आंतों की सक्रियता बढ़ाते हैं।
3-मजबूत होंगे दांत :खजूर में मौजूद कैल्शियम
दांतों की कमजोरी को दूर करता है। इसके
अलावा, खजूर में पाया जाने वाला फ्लोरीन नामक मिनरल
दांतों की समस्या को दूर करने में सहायक होता है।
4-ब्लड प्रेशर को काबू करे:खजूर के सेवन से कुछ
ही दिनों में लो ब्लड प्रेशर की समस्या से
छुटकारा मिल जाता है। रोज 3-4 खजूर गर्म पानी में
धोकर खाएं।


- संकलित

डेंगू

मित्रांनो, आजची हेडलाईन आहे मुंबईत डेंग्यूचा कहर.
डेंग्यूमुळे अनेक जण आजारी पडले असून काही जण
मृत्यूशी झुंजत आहेत.
ह्या जीवघेण्या आजारावर एक औषध अतिशय
प्रभावी असून 3 ते 4 दिवसातच रुग्ण पूर्ण बरा
होतो.
त्या औषधाचे नाव आहे
Eupatorium perf 200
हे औषध होमिओपथी फार्मसी मध्ये मिळेल.
हे औषध liquid मध्ये विकत घ्यावे आणि दर 3
तासाला 2 थेंब थेट जिभेवर घेत रहावे.
डेंगू तापामध्ये रक्तातील प्लेटलेट्स कमी होतात
त्यांची संख्या ह्या औषधाने 6 तासातच वाढू
लागते आणि 24 तासातच नॉर्मल होते.
इथे एक महत्वाची गोष्ट सांगू इच्छितो की
कोणताही ताप किंवा अंगदुखी आणि डोकेदुखी
(विशेषतः डोळ्यांच्या मागे दुखणे) हे डेंगू चे लक्षण
असू शकते.
म्हणून आपल्याला असलेला कोणताही ताप डेंगू
असेल किंवा नसेल तरी हे औषध घ्यायला काहीच
हरकत नाही.
तसेच इतर उपचारपद्धती सोबत सुद्धा हे औषध घेऊ
शकता,ज्याने फायदाच होईल.
कमीतकमी 3 ते 4 दिवस औषध जरूर घ्यावे.
तुमचा ताप डेंगू नसला तरी ह्या औषधाने कोणतेही
side effect न होता तुमच्या तापाला आणि
अंगदुखीला ह्या औषधाने नक्की आरामच मिळेल
ह्याची खात्री बाळगा.
आज अनंत चतुर्दशीच्या मुहूर्तावर पार्थिव
गणेशाच्या मूर्ती सोबतच जीवघेण्या डेंग्यूचे ही
विसर्जन करूयात.
कृपया जनहितार्थ लिहिलेली ही पोस्ट सर्वत्र
फॉरवर्ड करावी ही विनंती.
डॉ प्रसाद हजारे
व्हाट्स अप 9881374994


-
संकलित
FORWARDED AS RECEIVED.
KINDLY TAKE EXPERT ADVISE.

डायबेटीस

20 वर्षों से डायबिटीज झेल रहीं 65 वर्षीय महिला जो दिन में दो बार इन्सुलिन लेने को विवश थीं, आज इस रोग से पूर्णतः मुक्त होकर सामान्य सम्पूर्ण आहार ले रही हैं | जी हाँ मिठाई भी |
डाक्टरों ने उस महिला को इन्सुलिन और अन्य ब्लड सुगर कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी बंद करने की सलाह दी है |
और एक ख़ास बात | चूंकि केवल दो सप्ताह चलने वाला यह उपचार पूर्णतः प्राकृतिक तत्वों से घर में ही निर्मित होगा, अतः इसके कोई दुष्प्रभाव होने की रत्ती भर भी संभावना नहीं है |
मुम्बई के किडनी विशेषज्ञ डा. टोनी अलमैदा ने दृढ़ता और धैर्य के साथ इस औषधि के व्यापक प्रयोग किये हैं तथा इसे आश्चर्यजनक माना है |
अतः आग्रह है कि इस उपयोगी उपचार को अधिक से अधिक प्रचारित करें, जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें |
देखिये कितना आसान है इस औषधि को घर में ही निर्मित करना |
आवश्यक वस्तुएं–
> 1 – गेंहू का आटा 100 gm.
> 2 – वृक्ष से निकली गोंद 100 gm.
> 3 - जौ 100 gm.
> 4 - कलुन्जी 100 gm.
> निर्माण विधि-
उपरोक्त सभी सामग्री को ५ कप पानी में रखें | आग पर इन्हें १० मिनिट उबालें |
इसे स्वयं ठंडा होने दें | ठंडा होने पर इसे छानकर पानी को किसी बोतल या जग में सुरक्षित रख दें |
> उपयोग विधि-
सात दिन तक एक छोटा कप पानी प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेना |
अगले सप्ताह एक दिन छोड़कर इसी प्रकार सुबह खाली पेट पानी लेना | मात्र दो सप्ताह के इस प्रयोग के बाद आश्चर्यजनक रूप से आप पायेंगे कि आप सामान्य हो चुके हैं और बिना किसी समस्या के अपना नियमित सामान्य भोजन ले सकते हैं |
जिस किसी के पेरेंट्स को प्रॉब्लम हो उपयोग करे

आगे फॉरवर्ड करे  साभार -

Dr. Sanjeev Agarwal, Meerat City (U.P.) 09412835222


-
FORWARDED AS RECEIVED
CONFIRM BEFORE USING

Thursday, 2 February 2017

अच्छी नींद

अच्छी नींद के लिए घरेलू नुस्खे



अच्छी नींद लेना स्वास्‍थ्‍य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप भरपूर नींद लेते हैं तो कई बीमारियों से दूर रहते हैं। लेकिन अगर आपको भरपूर नींद नहीं आती है तो कई बीमारियां होना शुरू हो जाती हैं। नींद न आने के कारण शरीर उतना फुर्तीला और ऊर्जावान नहीं रहता है। अच्छी नींद न आने से दिनभर सिरदर्द, मन न लगना, थकान लगने जैसी समस्याएं होती हैं। नींद न आने की मुख्य वजह व्यस्त, दिनचर्या और असंतुलित खान-पान होता है। अगर आपको अच्छी नींद नहीं आ रही है तो हम आपको कुछ घरेलू नुस्खे बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप भरपूर नींद ले सकते हैं।

अच्छी नींद के लिए घरेलू उपचार –

सर्पगंधा, अश्वगंधा और भांग तीनों को बराबर मात्रा में ले लीजिए। इसको पीसकर चूर्ण बना लीजिए। रात में सोते वक्त 3-5 ग्राम मात्रा में यह चूर्ण पानी के साथ लेने से अच्छी नींद आती है।

अश्वगंधा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी, शतावरी, मुलहटी, आंवला, जटामासी, खुरासानी, अजवायन इन सबको लगभग 50-50 ग्राम लेकर बारीक चूर्ण बना लीजिए। रात को सोने से पहले लगभग 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ लीजिए। एक सप्ताह के अंदर इसका प्रभाव दिखेगा और आपको अच्छी नींद आएगी।

रात में सोने से पहले तलवों पर सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए। इससे दिमाग शांत और स्थिर होता है और अच्छी नींद आती है।

रात में सोने से पहले अपने हाथ, मुंह, पैर को अच्छी तरह से साफ पानी से धोकर सोने से नींद अच्छी आती है। सोने से पहले चाय या कॉफी आदि का सेवन न करें। क्योंकि, इनसे दिमाग की शिराएं उत्तेजित हो जाती हैं जिनके कारण अच्छी और गहरी नींद नहीं आ पाती है।

अगर तनाव के कारण नींद नहीं आ रही है तो अपने मन पसंद का संगीत सुनें या फिर अच्छा साहित्य पढें। ऐसा करने से मन शांत होगा और अच्छी नींद आएगी।

रात को सोने से पहले अपने दिमाग से सभी प्रकार के मानसिक तनावों को निकाल दी�

हृदयविकार

बंगळुरू येथील प्रसिद्ध नारायणा हृदयालय रुग्णालयाचे प्रमुख डॉ. देवी शेट्टी यांच्याशी विप्रो येथील कर्मचार्‍यांनी हृदयविकार आणि त्यासंबंधी घ्यावयाच्या उपायांसंदर्भात केलेले मार्गदर्शन.

प्र. - हृदयाची काळजी कशी घ्यावी?
उ. - १) योग्य खान-पान, कमी कार्बोहाड्रेटस, जास्त प्रोटीन आणि कमी तेल.
२) आठवड्यातून किमान अर्धा तास चालणे, लिफ्टचा वापर न करणे, एका ठिकाणी जास्त वेळ बसू नये.
३) स्मोकिंग बंद करावी.
४) वजन नियंत्रणात ठेवणे.
५) बी. पी. (ब्लडप्रेशर) आणि शुगर नियंत्रणात ठेवणे.

प्र. - नॉनव्हेजमध्ये मासे हृदयासाठी चांगले असतात का?
उ. - नाही

प्र. - एखाद्या तंदरुस्त व्यक्तीला अचानक हृदयविकाराचा झटका का येतो?
उ. याला सायलेंट अटॅक म्हणतात. त्यामुळे वय वर्षे ३० नंतर नियमित चेकअप करावे.

प्र. - हृदयविकार हा अनुवंशिक आजार आहे का?
उ. - होय!

प्र. - हृदयावरील तणाव कमी करण्यासाठी काय केले पाहिजे.
उ. - आयुष्याकडे पाहण्याचा दृष्टिकोन बदलायला हवा. प्रत्येक गोष्ट मिळालीच पाहिजे असा अट्टाहास करू नये.

प्र. -  चालणे चांगले की जॉगिंग? जिममध्ये व्यायाम केल्यास हृदयासाठी चांगले असते का?
उ. - चालणे कधीही चांगलेच. जॉगिंंगमुळे शरीराच्या जॉईंट्सना इजा पोहोचू शकते.

प्र. - कमी रक्तदाब असलेल्या व्यक्तींना हृदयविकार होतो का?
उ. - शक्यता फारच कमी.

प्र. - कोलेस्ट्रॉल वाढण्याची प्रक्रिया कधी होते. ३० वर्षांनंतर कोलेस्ट्रॉलची काळजी घ्यावी का?
उ. - शरीरात लहानपणापासूनच कोलेस्ट्रॉल असते.

प्र. - अनियमित खाण्यामुळे हृदयावर काय परिणाम होतो.
उ. - अनियमित खात असा आणि त्यातही जंकफूड असेल तर पचनसंस्थेमध्येच गडबड होते.

प्र. - औषध न घेता कोलेस्ट्रॉल कसा नियंत्रणात आणावा?
उ. - खाण्यावर नियंत्रण, नियमित चालणे आणि आक्रोड खाणे.

प्र. - हृदयासाठी कोणते अन्न चांगले आणि वाईट आहे?
उ. - फळे आणि भाज्या हृदयासाठी चांगल्या. तेल सर्वांत वाईट.

प्र. - कोणते तेल चांगले? सूर्यफूल, शेंगदाणा, सोयाबीन, ऑलिव्ह ऑईल?
उ. - सवर्च तेल वाईट.

प्र. - नियमित वैद्यकीय तपासणी म्हणजे काय?
उ. - वय वर्षे ३० नंतर सहा महिन्यांतून एकदा रक्त तपास करवी, शुगर आणि कोलेस्ट्रॉल, बी.पी. चेक करावा. डॉक्टरांच्या सल्ल्याने ट्रेड मील आणि इको टेस्ट करावी.

प्र. - हृदयविकाराचा झटका आल्यानंतर प्रथमोपचार काय करावेत?
उ. - त्या रुग्णाला तत्काळ झोपवावे, त्याच्या जिभेखालच्या बाजूला ऍस्पिरीन किंवा सॉरबिट्रेट ही गोळी ठेवावी. वेळ न दवडता आणि ऍम्ब्युलन्सची वाट न पाहता जवळच्या हृदयविकार रुग्णालयात तत्काळ घेऊन जावे. बहुतांशी मृत्यू पहिल्या एक तासात होतात.

प्र. - ऍसिडीटी, गॅसेसमुळे छातीत होणारी जळजळ आणि हृदयविकाराचा त्रास हे कसे ओळखावेत?
उ. - डॉक्टरांकडे जाऊन ई.सी.जी. केल्याशिवाय हे समजणे कठीण आहे.

प्र. - तरुणांमध्ये ३० ते ४० वर्षांच्या आत हृदयविकाराचा झटका येण्याचे प्रमाण का वाढले आहे?
उ. - चुकीची लाईफस्टाईल, स्मोकिंग, जंकफूड, व्यायामाचा अभाव यामुळे अमेरिका आणि युरोपपेक्षा तीनपट जास्तm हृदयविकाराचे रुग्ण India  आहेत.

प्र. - अनेकांचे जीवनमान दगदगीचे आहे. अनेकांना रात्रपाळी करावी लागते. त्याचा परिणाम हृदयावर होतो का?
उ. - जेव्हा तुम्ही तरुण असता तेव्हा निसर्ग रक्षण करीत असतो. परंतु जसजसे वय वाढत जाते, तसा शरीरराचाही आपण आदर केला पाहिजे. यात बदल हवा.

प्र. - जवळच्या नातेवाईकांमध्ये लग्न केल्यामुळे जन्मलेल्या मुलाला हृदयाचा काही आजार असू शकतो का?
उ. - होय! काही प्रमाणात मुलांमध्ये ही लक्षणे दिसू शकतात.

प्र. - उच्च रक्तदाब म्हणजे बी. पी. (ब्लडप्रेशर) नियंत्रित ठेवण्यासाठी घेण्यात येणार्‍या औषधांचे साईड इफेक्ट दिसतात का?
उ. - होय! अनेक औषधांचे साईड इफेक्ट असतात. मात्र, सध्या अनेक सुधारणा झाल्यामुळे आधुनिक औषधे अधिक चांगली आहेत.

प्र. - जास्त चहा, कॉफी घेतल्यामुळे हार्टऍटॅक येतो का?
उ. - नाही!

प्र. - अस्थमाचा आजार आणि हृदयविकाराचा काही संबंध आहे का?
उ. - नाही!

प्र. - केळी खाल्ल्यामुळे बी. पी. नियंत्रणात येतो का?
उ. - नाही!

प्र. - जंकफूड म्हणजे काय?
उ. - फ्राईड केलेेले मॅकडोनल्डस आणि तत्सम ठिकाणी बनविले जाणारे अन्न, समोसा आणि मसाला डोसाही.

प्र. - नियमित चालण्यासाठी वेळ मिळाला नाही आणि एकाच जागी खूप वेळ बसून काम करावे लागत असेल तर काय करावे?
उ. - एकाच जागी तासाभरापेक्षा जास्त वेळ बसू नये. जागेवरच थोडा वेळ उभे राहावे किंवा एका खुर्चीवरून दुसर्‍या खुर्चीवर बसले तरीही चालते, पण आठवड्यातून पाच दिवस किमान अर्धा तास चालल्यास उत्तमच!




FORWARDED AS RECEIVED.
Publisher is not EXPERT.

रिफाइन तेल

♨♨♨  रिफाइन तेल  ♨♨♨

आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया | डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ !

अब क्यों, आप सब समझदार हैं, समझ सकते हैं |

ये रिफाइन तेल बनता कैसे हैं ? मैंने देखा है और आप भी कभी देख लें तो बात समझ जायेंगे | किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है | ये सब केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाये हुए हैं प्रयोगशाला में, भगवान का बनाया हुआ एक भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता, भगवान का बनाया मतलब प्रकृति का दिया हुआ जिसे हम ओरगेनिक कहते हैं | तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब Inorganic हैं और Inorganic केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका combination जहर के तरफ ही ले जाता है | इसलिए रिफाइन तेल, डबल रिफाइन तेल गलती से भी न खाएं | फिर आप कहेंगे कि, क्या खाएं ?

तो आप शुद्ध तेल खाइए, सरसों का, मूंगफली का, तीसी का, या नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है |
हम लोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है | तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है, वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका Organic content है प्रोटीन के लिए | 4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे, उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी |

ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि | जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप पाएंगे, अभी तो मैंने देखा है कि जिनके यहाँ रिफाइन तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है | जब सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इस पर काम किया और कहा “तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |”

आप बोलेंगे कि तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ? मैं बता दूँ कि हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotin), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |

अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में | वहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है | 7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है | भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है | और जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा | क्योंकि पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी dissolve नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर dissolve नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में dissolve नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है | रिफ़ाइण्ड तेल की जगह कच्ची घानी तेल या मूंगफ़ली, सरसों, तिल, olive का तेल ही खाएँ !

🙏 त्रिभुवन गुप्ता, पटियाला 🙏


संकलित
FORWARDED AS RECEIVED.

आरोग्य

*सरल उपाय आरोग्य प्राप्ति के*

✏* प्रातः उठते ही लघुशंका के पश्चात पंजों के बल (कागासन में) बैठकर दो से पाँच गिलास पानी पीना चाहिए, इसे उषापान कहते हैं। पानी बगैर कुल्ला किए गिलास को होठ लगाकर धीरे-धीरे पीना चाहिए। ऐसा करने से मुख के अंदर की उपजी लार अधिक से अधिक पेट में जाती है जो पाचन तंत्र के लिए उत्तम कार्य करते हुए सरलता प्रदान करती है।

✏* दो मिनट टहलने के पश्चात शौच हेतु जाएँ। फिर मंजन आदि कर घूमने जाना चाहिए। प्रातःकालीन भ्रमण व इससे प्राप्त ताजा हवा के लिए कहा गया है कि सौ दवा का मुकाबला करने की शक्ति एक ताजा हवा में होती है। प्रतिदिन तीन किलोमीटर घूमने का नियम होना चाहिए, जिसमें एक किलोमीटर दौड़ने का प्रावधान हो तो शरीर का अंग-प्रत्यंग, श्वास-प्रश्वास यानी कि शरीर की आंतरिक एवं बाह्य चलन की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है जिसे अन्य परिस्थितियों में श्रेष्ठ योगाचार्य के सान्निध्य में ही प्राप्त किया जा सकता है।

✏* स्नान-ध्यान कर प्रातः का भोजन 11 बजे तक अवश्य हो जाना चाहिए। भोजन तनावरहित हो व धीरे-धीरे खाना चाहिए। सायं का भोजन सूर्य की साक्षी में खाने का नियम होना चाहिए। जहाँ तक हो रात्रि में दस बजे तक सो जाना चाहिए, ताकि अगली सुबह शीघ्रता से उठा जा सके। यदि कोई पंद्रह दिन उक्त दिनचर्या को अपना लेता है तो इसके लाभ उसको प्रत्यक्ष दिखने लगेंगे। फिर तो बरसात में छतरी लगाकर व ठंड में स्वेटर पहनकर घूमने जाना पहली आवश्यकता हो जाएगी।

☀वंदे मातरम्।।
।।भारत माता की जय।।☀


जसे आले तसे पाठवले
संकलित माहिती

जैतून (OLIVE )

**जैतून (OLIVE ) -

जैतून भूमध्य सागरीय क्षेत्रों,एशिया एवं सीरिया में पाया जाता है। भारत में यह उत्तर पश्चिमी हिमालय, जम्मू कश्मीर, आंध्र-प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में पाया जाता है। इन वृक्षों के फलों से तेल निकाला जाता है। यह तेल उत्तम, स्वच्छ, सुनहरे रंग का तथा हल्की गंधयुक्त होता है। इसके फल अंडाकार, गोलाकार, १.३ -३.५ सेमी लम्बे, प्रथमतया हरित वर्ण के पश्चात में रक्त एवं पक्वावस्था में बैंगनी-नील कृष्ण वर्ण के होते हैं। कच्चे फलों का प्रयोग अचार एवं साग बनाने के लिए किया जाता है। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अक्टूबर से अप्रैल तक होता है।
इसके बीज में अवाष्पशील तेल पाया जाता है। इसके पुष्प अरसोलिक अम्ल पाया जाता है। इसके फल में तेल, ऑलिक अम्ल एवं मैसलिनिक अम्ल पाया जाता है।
आईये जानते हैं जैतून के विभिन्न औषधीय गुण :-

✏१- जैतून के कच्चे फलों को जलाकर, उसकी राख में शहद मिलाकर, सिर में लगाने से सिर की गंज तथा फुंसियों में लाभ होता है।

✏२-पांच मिली जैतून पत्र स्वरस को गुनगुना करके उसमें शहद मिलाकर १-२ बूँद कान में डालने से कान के दर्द में आराम होता है।

✏३- जैतून के कच्चे फलों को पानी में पकाकर उसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े से गरारा करने पर दांतों तथा मसूड़ों के रोग मिटते हैं तथा इससे मुँह के छाले भी ख़त्म होते हैं।

✏४- जैतून के तेल को छाती पर मलने से सर्दी, खांसी तथा अन्य कफज-विकारों का शमन होता है।

✏५- जैतून के तेल की मालिश से आमवात, वातरक्त तथा जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।

✏६- जैतून के पत्तों के चूर्ण में शहद मिलाकर घावों पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।

✏७- जैतून के कच्चे फलों को पीसकर लगाने से चेचक तथा दुसरे फोड़े फुंसियों के निशान मिटते हैं। अगर शरीर का कोई भाग अग्नि से जल गया हो तो यह लेप लगाने से छाला नहीं पड़ता।

✏८- जैतून के पत्तों को पीसकर लेप करने से पित्ती,खुजली और दाद में लाभ होता है।

✏९- जैतून के तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है तथा सुंदरता बढ़ती है।

☀वंदे मातरम्।।
।।भारत माता की जय


-संकलित

FORWARDED AS RECEIVED

#आरोग्यं

मौसम बदलने के साथ व्यक्ति अपनी दिनचर्या में भी बदलाव करता है। खुद को मौसम के अनुसार ढालने के लिए व्यक्ति रहन-सहन, पहनावे और खास तौर पर अपने खान-पान में तब्दीली लाता है। अगर खान-पान सही है तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि आपकी सेहत दुरुस्त न रहे।
मॉनसून दस्तक दे रहा है और इस मौसम में बीमारियां बढ़ने की पूरी संभावना रहती है। यह मौसम अन्य छोटी-बड़ी बिमारियों के साथ स्किन संबंधित समस्या भी लेकर आता है जो आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है। यदि आप अपनी दिनचर्या में निम्नलिखित फलों और सब्जियों को शामिल करेंगे तो आप स्किन संबंधित समस्या से निजात पा सकते हैं :-

✏जामुन-
यह त्वचा के लिए सबसे ज्यादा लाभकारी फल होता है। यदि आप नियमित रूप से इसका सेवन करते हैं तो आप चेहरे के दाग-धब्बों से निजात पा सकते हैं। यह फल झुर्रियों के साथ-साथ त्वचा संबंधित अन्य समस्याओं के लिए भी काफी लाभदायक है। बाजार में मिलने वाले जामुन को खरीदने से पहले आपको यह देखना होगा कि वह ऑर्गैनिक है या नहीं।

✏गाजर -
जैसा की हम सभी जानते हैं कि गाजर हमारी दृष्टि के लिए सबसे उपयोगी सब्जी है लेकिन यह हमारे स्किन के लिए भी लाभदायक है, ऐसा कम ही लोग जानते होंगे। विटामिन ए से भरपूर गाजर गर्मियों में आपके चेहरे को नमी प्रदान करती है। यही नहीं गाजर विटामिन सी का भी अच्छा स्रोत है इसलिए यदि आप नियमित रूप से इसका सेवन करेंगे तो आपका चेहरा कोमल और चिकना हो जाएगा।

✏खीरा-
एक मात्र ऐसी सब्जी है जो हर मौसम में सबसे ज्यादा राहत देती है। खीरा ना केवल सेहत के लिए ही अच्छा माना जाता है बल्किी कब्ज, एसिडिटी, छाती की जलन से भी मुक्ति दिलाता है। यहीं नहीं यह आपके बालों और त्वचा के लिए भी उपयोगी है। 95 फीसदी पानी होने की वजह से इसका इस्तेमाल आंखों के नीचे डार्क सर्कल और सूजन को खत्म करने के लिए किया जाता है।

✏आम-
कम ही लोग होंगे जो फलो के राजा आम पसंद न करते हों। सीजन की वजह से गर्मियों में यह फल सबसे ज्यादा उपयोग में लाया जाता है। इस मौसम में आप भी आम का सेवन जरूर करते होंगे। इस एक फल में बीस तरह के विटामिन होते हैं जिनका सेवन करने से आपके चेहरे पर ग्लो आएगा।

✏खट्टे फल-
अधिकतर बिमारियों में डॉक्टर हमेशा मरीज को खट्टे फल खाने की सलाह देते हैं। खट्टे फलो में मौसमी, संतरा, नींबू आदि आते हैं जिनके अंदर विटामीन सी के साथ-साथ लाइसिन और प्रोलाइन के रूप में महत्वपूर्ण अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा को कोमल बनाते हैं तथा सिकुड़न को भी कम करते हैं। ऐसे फल आपकी कोशिकाओं के लिए भी बहुत उपयोगी हैं।

☀वंदे मातरम्।।
।।भारत माता की जय।।☀


-संकलित

FORWARDED AS RECEIVED.

गर्म पानी के फायदे

🚩🚩गर्म पानी के फायदे

🚩अगर आप स्किन प्रॉब्लम्स से परेशान हैं या ग्लोइंग स्किन के लिए तरह-तरह के कॉस्मेटिक्स यूज करके थक चूके हैं तो रोजाना एक गिलास गर्म पानी पीना शुरू कर दें। आपकी स्किन प्रॉब्लम फ्री हो जाएगी व ग्लो करने लगेगी।

🚩गर्म पानी पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर हो जाते हैं। सुबह खाली पेट व रात्रि को खाने के बाद पानी पीने से पाचन संबंधी दिक्कते खत्म हो जाती है व कब्ज और गैस जैसी समस्याएं परेशान नहीं करती हैं।

🚩भूख बढ़ाने में भी एक गिलास गर्म पानी बहुत उपयोगी है। एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस और काली मिर्च व नमक डालकर पीएं। इससे पेट का भारीपन कुछ ही समय में दूर हो जाएगा।

🚩खाली पेट गर्म पानी पीने से मूत्र से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं। दिल की जलन कम हो जाती है। वात से उत्पन्न रोगों में गर्म पानी अमृत समान फायदेमंद हैं।

🚩गर्म पानी के नियमित सेवन से ब्लड सर्कुलेशन भी तेज होता है। दरअसल गर्म पानी पीने से शरीर का तापमान बढ़ता है। पसीने के माध्यम से शरीर की सारे जहरीले तत्व बाहर हो जाते हैं।

🚩बुखार में प्यास लगने पर मरीज को ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। गर्म पानी ही पीना चाहिए बुखार में गर्म पानी अधिक लाभदायक होता है।

♍यदि शरीर के किसी हिस्से में गैस के कारण दर्द हो रहा हो तो एक गिलास गर्म पानी पीने से गैस बाहर हो जाती है।

🚩अधिकांश पेट की बीमारियां दूषित जल से होती हैं यदि पानी को गर्म कर फिर ठंडा कर पीया जाए तो जो पेट की कई अधिकांश बीमारियां पनपने ही नहीं पाएंगी।

🚩गर्म पानी पीना बहुत उपयोगी रहता है इससे शक्ति का संचार होता है। इससे कफ और सर्दी संबंधी रोग बहुत जल्दी दूर हो जाते हैं।

🚩दमा ,हिचकी ,खराश आदि रोगों में और तले भुने पदार्थों के सेवन के बाद गर्म पानी पीना बहुत लाभदायक होता है।

🚩सुबह खाली पेट एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू मिलाकर पीने से शरीर को विटामिन सी मिलता है। गर्म पानी व नींबू का कॉम्बिनेशन शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है।साथ ही पी.एच. का स्तर भी सही बना रहता है।

🚩रोजाना एक गिलास गर्म पानी सिर के सेल्स के लिए एक गजब के टॉनिक का काम करता है। सिर के स्केल्प को हाइड्रेट करता है जिससे स्केल्प ड्राय होने की प्रॉब्लम खत्म हो जाती है।

🚩वजन घटाने में भी गर्म पानी बहुत मददगार होता है। खाने के एक घंटे बाद गर्म पानी पीने से मेटॉबालिम्म बढ़ता है। यदि गर्म पानी में थोड़ा नींबू व कुछ बूंदे शहद की मिला ली जाएं तो इससे बॉडी स्लिम हो जाती है।

🚩हमेशा जवान दिखते रहने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए गर्म पानी एक बेहतरीन औषधि का काम करता है।


मां तो जन्नत का फूल है, प्यार करना उसका उसूल है , दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है ,मां की हर दुआ कबूल है , मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है ,मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है ,अगर अपनी मां से है प्यार तो अपने सभी दोस्तो सेन्ड करे वरना ये मेसेज आपके लिये फिजूल है.

🚩🚩


संकलित

आरोग्यम

🚩
करीब 7-10 लहसुन की कलियों को तेल या घी के साथ फ्राय कर लिया जाए और खाने से पहले चबाया जाए तो जोड़ दर्द में तेजी से आराम मिलता है। ऐसा प्रतिदिन किया जाना चाहिए। डांग- गुजरात के हर्बल जानकारों का मानना है कि लहसुन की कलियों को सरसों के तेल के साथ कुचलकर गर्म किया जाए और कपूर मिलाकर जोड़ों या दर्द वाले हिस्सों पर लगाकर मालिश की जाए तो आराम मिलता है।

🚩
 समुद्रशोख नामक पौधे का चूर्ण तैयार किया जाए और इस चूर्ण की करीब 1-3 ग्राम मात्रा लेकर दूध में मिलाकर लिया जाए, तो जोड़ दर्द में राहत मिलती है।


🚩
पुनर्नवा के पौधे, आमा हल्दी और अदरक की समान मात्रा को कुचलकर पानी में उबाला जाए और काढ़ा तैयार कर पिया जाए तो बदन दर्द और जोड़ के दर्द में आराम मिलता है।

🚩
अकोना या मदार की ताजा पत्तियों पर सरसों का तेल लेप कर तवे पर हल्का गर्म किया जाए और जोड़ दर्द वाले हिस्सों पर लगाया जाए तो दर्द में राहत मिलती है।


🚩
 दालचीनी की छाल का चूर्ण तैयार कर एक कप पानी के साथ लगभग 2 ग्राम चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाने के बाद लिया जाए तो जोड़ दर्द में तेजी से आराम मिलता है। डांग के आदिवासियों के अनुसार, इस फॉर्मूले का सेवन डायबिटीज के मरीज़ों के लिए कारगर है। आदिवासियों के अनुसार, खान-पान में दालचीनी का उपयोग सेहत के लिए बेहतर होता है।
🚩
 बरसात के दिनों में इंद्रायण के फलों को एकत्र किया जाए और इसे नमक और अजवायन के पानी में उबालकर खाया जाए तो आर्थरायटिस में आराम मिलता है।
🚩
 पातालकोट में आदिवासी अनंतमूल की चाय पीने की सलाह देते हैं। अंतमूल की लगभग 1 ग्राम जड़ को एक कप पानी में हल्का-सा दूध मिलाकर चाय तैयार की जाए, और दिन में दो बार सेवन किया जाए तो दर्द में राहत मिलती है।

🚩
 आदिवासी दूब घास, अदरक, दालचीनी और लौंग की समान मात्रा लेकर गुड़ के पानी में खौलाते हैं और रोगी को करीब 5 मिली पीने की सलाह देते हैं। माना जाता है कि दिन में एक बार लगातार 1 माह तक लेने से जोड़ दर्द छूमंतर हो जाता है।

🚩
पारिजात की 6-7 ताजी पत्तियों को अदरक के रस साथ कुचल कर शहद मिलाकर सेवन किया जाए तो बदन दर्द और जोड़ दर्द में काफी आराम मिलता है। माना जाता है कि इस फॉर्मूले का सेवन सायटिका जैसे रोग में भी राहत देता है।
🚩
 सरसों के तेल (20 मिली) के साथ पारिजात की छाल का चूर्ण (करीब 5 ग्राम) गर्म किया जाए और इससे जोड़ दर्द वाले हिस्सों पर मालिश किया जाए, तो फायदा होता है।

FORWARDED AS RECEIVED.
PUBLISHER IS NOT EXPERT.

सरदर्द

* सरदर्द के लिए अचूक "प्राकृतिक चिकित्सा "मात्र पांच मिनट में सरदर्द "गायब"

नाक के दो हिस्से हैं दायाँ स्वर और बायां स्वर जिससे हम सांस लेते और छोड़ते हैं पर यह बिलकुल अलग - अलग असर डालते हैं और आप फर्क महसूस कर सकते हैं।

दाहिना नासिका छिद्र "सूर्य" और बायां नासिका छिद्र "चन्द्र" के लक्षण को दर्शाता है या प्रतिनिधित्व करता है।

सरदर्द के दौरान, दाहिने नासिका छिद्र को बंद करें और बाएं से सांस लें।

और बस ! पांच मिनट में आपका सरदर्द "गायब" है ना आसान ?? और यकीन मानिए यह उतना ही प्रभावकारी भी है..

🔹अगर आप थकान महसूस कर रहे हैं तो बस इसका उल्टा करें...
यानि बायीं नासिका छिद्र को बंद करें और दायें से सांस लें ,और बस ! थोड़ी ही देर में "तरोताजा" महसूस करें।

दाहिना नासिका छिद्र "गर्म प्रकृति" रखता है और बायां "ठंडी प्रकृति"

अधिकांश महिलाएं बाएं और पुरुष दाहिने नासिका छिद्र से सांस लेते हैं और तदनरूप क्रमशः ठन्डे और गर्म प्रकृति के होते हैं सूर्य और चन्द्रमा की तरह।
================
प्रातः काल में उठते समय अगर आप बायीं नासिका छिद्र से सांस लेने में बेहतर महसूस कर रहे हैं तो आपको थकान जैसा महसूस होगा तो बस बायीं नासिका छिद्र को बंद करें, दायीं से सांस लेने का प्रयास करें और तरोताजा हो जाएँ।
================
अगर आप प्रायः सरदर्द से परेशान रहते हैं तो इसे आजमायें, दाहिने को बंद कर बायीं नासिका छिद्र से सांस लें बस इसे नियमित रूप से एक महिना करें और स्वास्थ्य लाभ लें।

तो बस इन्हें आजमाइए और बिना दवाओं के स्वस्थ महसूस करें।


FORWARDED AS RECEIVED.
PUBLISHER IS NOT EXPERT..

शक्ति का भंडार – गाजर

शक्ति का भंडार – गाजर

। हेतल पटेल । हरि ॐ ।

गाजर के गुणों पर दृष्टी डालें तो पता चलता है कि यह प्रकृतिप्रदत्त एक अनमोल उपहार हैं | गाजर मे शरीर को स्वस्थ रखनेवाले तत्त्व पाये जाते हैं | यह शारीरिक एवं बौद्धिक विकास में लाभकारी हैं | इससे नेत्रज्योति व स्मरणशक्ति में भी वृद्धि होती है | इसमें लौह व गंधक (सल्फर) होने से रक्त की वृद्धि व शुद्धि में मदद मिलती है | प्राकृतिक चिकित्साचार्यों ने इसे ‘गरीबों का सेब’ कहकर नवाजा है |

गाजर - रस के लाभकारी प्रयोग

आरोग्यशक्तिवर्धक : गाजर में ;विटामिन बी काम्प्लेक्स’ होता है जो पाचन-संस्थान को शक्तिशाली बनाता है व पेट के अनेक रोगों में लाभकारी हैं | यह भोजन पचाने में मदद करता है तथा मल साफ़ लाता है | लम्बी बीमारी के बाद उसकी क्षतिपूर्ति करने में गाजर का रस बहुत ही प्रभावकारी है | यह रोगी को चुस्त, तरोताजा और शक्तिशाली बनाता हैं |

मस्तिष्क – शक्तिवर्धक : इससे मस्तिष्क को शक्ति मिलती है व थकान दूर होती है | यह अनिद्रा रोग में लाभकारी है |

माताओं के लिए : माताओं को सगर्भावस्था में गाजर का रस पीते रहने से शरीर में लौह तथा कैल्सियम की कमी नहीं रहती | दुग्धपान करानेवाली माताओं को भी रोज सुबह गाजर का रस पीना चाहिए | इससे उनके दूध की गुणवत्ता बढती है |

दाँतो की मजबूती : ७० मि.ली. गाजर का रस प्रतिदिन पीने से मसूड़ों व दाँतो की जड़ मजबूत बनती है और दाँतो के रोग पैदा नहीं होते |

नेत्रज्योति की वृद्धि : १२५-१२५ मि.ली. पालक और गाजर का रस मिलाकर सेवन करते रहने से दृष्टि की कमजोरी दूर हो जाती है |

लाल रक्तकण बढाने हेतु : २५० मि .ली. गाजर के रस में पालक का रस मिलाकर पीये |

बच्चों की दुर्बलता दूर करने हेतु : २ - ३ चम्मच गाजर-रस दुर्बल बच्चों को प्रतिदिन ३ बार पिलाने से बच्चे ह्रष्ट-पुष्ट हो जाते हैं |

दुग्धपान करते बच्चों के लिए : बच्चों को गाजर का रस पिलाने से उनके दाँत सरलता से निकलते है और दूध भी ठीक से पचता है |

। हेतल पटेल । हरि ॐ ।

गाजर - रस के औषधीय प्रयोग

कैंसर : गाजर में पाया जानेवाला केरोटिन नामक औषधीय तत्त्व कैंसर-नियन्त्रण में उपयोगी है | ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) और पेट के कैंसर में यह अधिक लाभप्रद है |

चर्मरोग : गाजर का रस कीटाणुनाशक है और संक्रमण को दूर करता है | इससे रक्त शुद्ध होकर खुजली, फोड़े-फुंसियों व कील-मुँहासो में लाभ होता है | रोगी के पीले चेहरे का रंग गुलाबी हो जाता है |

कब्ज : २५० मि.ली. गाजर के रस में ५० मि.ली. पालक का रस और थोडा-सा नींबू का रस मिलाकर पियें | नमक न मिलायें |

मात्रा : एक बार में एक गिलास (२५० मि.ली. ) से अधिक रस न पिये |

सावधानी – १] गाजर खाने के बाद तुरंत पानी न पिये | २) गाजर के बीच का पीला भाग निकालकर ही गाजर का उपयोग करना चाहिए |

- लोककल्याण सेतु – जनवरी २०१५ से

-संकलित

FORWARDED AS RECEIVED
AUTHOR UNKNOWN

पथरी

"गुर्दे की पथरी की चिकित्सा"-

आजकल पथरी का रोग लोगों में आम समस्या बनती जा रही है| जो अक्सर गलत खान पान की वजह से होता है।गुर्दे की पथरी (वृक्कीय कैल्कली, नेफरोलिथियासिस) (अंग्रेजी:Kidney stones) मूत्रतंत्र की एक ऐसी स्थिति है जिसमें, वृक्क (गुर्दे) के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर सदृश कठोर वस्तुओं का निर्माण होता है। गुर्दें में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। सामान्यत: ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकाल दी जाती हैं , किन्तु यदि ये पर्याप्त रूप से बड़ी हो जाएं ( २-३ मिमी आकार के) तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आसपास असहनीय पीड़ा होती है।
यह स्थिति आमतौर से 30 से 60 वर्ष के आयु के व्यक्तियों में पाई जाती है और स्त्रियों की अपेक्षा पुरूषों में चार गुना अधिक पाई जाती है। बच्चों और वृद्धों में मूत्राशय की पथरी ज्यादा बनती है, जबकि वयस्को में अधिकतर गुर्दो और मूत्रवाहक नली में पथरी बन जाती है। जिन मरीजों को मधुमेह की बीमारी है उन्हें गुर्दे की बीमारी होने की काफी संभावनाएं रहती हैं। अगर किसी मरीज को रक्तचाप की बीमारी है तो उसे नियमित दवा से रक्तचाप को नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर रक्तचाप बढ़ता है, तो भी गुर्दे खराब हो सकते हैं।

गुर्दे की पथरी के कारण

किसी पदार्थ के कारण जब मूत्र सान्द्र (गाढ़ा) हो जाता है तो पथरी निर्मित होने लगती है। इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है। इसके लक्षण जब तक दिखाई नहीं देते तब तक ये मूत्रमार्ग में बढ़ने लगते है और दर्द होने लगता है। इसमें काफी तेज दर्द होता है जो बाजू से शुरु होकर उरू मूल तक बढ़ता है।

तथा रोजाना भोजन करते समय उनमें जो कैल्शियम फॉस्फेट आदि तत्व रह जाते हैं, पाचन क्रिया की विकृति से इन तत्वों का पाचन नहीं हो पाता है। वे गुर्दे में एकत्र होते रहते हैं। कैल्शियम, फॉस्फेट के सूक्ष्म कण तो मूत्र द्वारा निकलते रहते हैं, जो कण नहीं निकल पाते वे एक दूसरे से मिलकर पथरी का निर्माण करने लगते हैं। पथरी बड़ी होकर मूत्र नली में पहुंचकर मूत्र अवरोध करने लगती है। तब तीव्र पीड़ा होती है। रोगी तड़पने लगता है। इलाज में देर होने से मूत्र के साथ रक्त भी आने लगता है जिससे काफी पीड़ा होती है। तथा लंबे समय तक पाचन शक्ति ठीक न रहने और मूत्र विकार भी बना रहे तो गुर्दों में कुछ तत्व इकट्ठे होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं।


किसी प्रकार से पेशाब के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व किसी एक स्थान पर रुक जाते है,चाहे वह मूत्राशय हो,गुर्दा हो या मूत्रनालिका हो,इसके कई रूप होते है,कभी कभी यह बडा रूप लेकर बहुत परेशानी का कारक बन जाती है,पथरी की शंका होने पर किसी प्रकार से इसको जरूर चैक करवा लेना चाहिये.

गुर्दे की पथरी के लक्षण


पीठ के निचले हिस्से में अथवा पेट के निचले भाग में अचानक तेज दर्द, जो पेट व जांघ के संधि क्षेत्र तक जाता है। दर्द फैल सकता है या बाजू, श्रोणि, उरू मूल, गुप्तांगो तक बढ़ सकता है, यह दर्द कुछ मिनटो या घंटो तक बना रहता है तथा बीच-बीच में आराम मिलता है। दर्दो के साथ जी मिचलाने तथा उल्टी होने की शिकायत भीहो सकती है। यदि मूत्र संबंधी प्रणाली के किसी भाग में संक्रमण है तो इसके लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना आदि भी शामिल हो सकते हैं ; बार बार और एकदम से पेशाब आना, रुक रुक कर पेशाब आना, रात में अधिक पेशाब आना, मूत्र में रक्त भी आ सकता है। अंडकोशों में दर्द, पेशाब का रंग असामान्य होना। गुर्दे की पथरी के ज्यादातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयंकर दर्द की शिकायत करते हैं। यह दर्द रह-रह कर उठता है और कुछ मिनटो से कई घंटो तक बना रहता है इसे ”रीलन क्रोनिन” कहते हैं। यह रोग का प्रमुख लक्षण है, इसमें मूत्रवाहक नली की पथरी में दर्दो पीठ के निचले हिस्से से उठकर जांघों की ओर जाता है।

गुर्दे की पथरी के प्रकार

सबसे आम पथरी कैल्शियम पथरी है। पुरुषों में, महिलाओं की तुलना में दो से तीन गुणा ज्यादा होती है। सामान्यतः 20 से 30 आयु वर्ग के पुरुष इससे प्रभावित होते है। कैल्शियम अन्य पदार्थों जैसे आक्सलेट(सबसे सामान्य पदार्थ) फास्फेट या कार्बोनेट से मिलकर पथरी का निर्माण करते है। आक्सलेट कुछ खाद्य पदार्थों में विद्यमान रहता है।
पुरुषों में यूरिक एसिड पथरी भी सामान्यतः पाई जाती है। किस्टिनूरिया वाले व्यक्तियों में किस्टाइन पथरी निर्मित होती है। महिला और पुरुष दोनों में यह वंशानुगत हो सकता है।
मूत्रमार्ग में होने वाले संक्रमण की वजह से स्ट्रवाइट पथरी होती है जो आमतौर पर महिलाओं में पायी जाती है। स्ट्रवाइट पथरी बढ़कर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय को अवरुद्ध कर सकती है।

बचाव के कुछ उपाय

1. पर्याप्त जल पीयें ताकि 2 से 2.5 लीटर मूत्र रोज बने।पथरी के मरीज को दिन में कम से कम 5-6 लीटर पानी पीना चाहिये। अधिक मात्रा में मुत्र बनने पर छोटी पथरी मुत्र के साथ निकल जाती है।

2. आहार में प्रोटीन, नाइट्रोजन तथा सोडियम की मात्रा कम हो।

3. ऐसे पदार्थ न लिये जांय जिनमें आक्जेलेट्‌ की मात्रा अधिक हो; जैसे चाकलेट, सोयाबीन, मूंगफली, पालक आदि

4. कोका कोला एवं इसी तरह के अन्य पेय से बचें।

5. विटामिन - सी की भारी मात्रा न ली जाय।

6. नारंगी आदि का रस (ज्यूस) लेने से पथरी का खतरा कम होता है।

पथरी में ये खाएं:
कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास, बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानी पीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।

ये न खाएं:
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि। मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें। जिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं !काले अंगूरों के सेवन से परहेज करें।तिल, काजू अथवा खीरे, आँवला अथवा चीकू (सपोटा) में भी आक्सेलेट अधिक मात्रा में होता है।बैगन,फूलगोभी में यूरिक एसिड व प्यूरीन अधिक मात्रा में पाई जाती है।

पथरी का घरेलू इलाज-

1. जिस व्यक्ति को पथरी की समस्या हो उसे खूब केला खाना चाहिए क्योंकि केला विटामिन बी-6 का प्रमुख स्रोत है, जो ऑक्जेलेट क्रिस्टल को बनने से रोकता है व ऑक्जेलिक अम्ल को विखंडित कर देता है। इसके आलावा नारियल पानी का सेवन करें क्योंकि यह प्राकृतिक पोटेशियम युक्त होता है, जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है और इसमें पथरी घुलती है।

2. कहने को करेला बहुत कड़वा होता है पर पथरी में यह भी रामबाण साबित होता है| करेले में पथरी न बनने वाले तत्व मैग्नीशियम तथा फॉस्फोरस होते हैं और वह गठिया तथा मधुमेह रोगनाशक है। जो खाए चना वह बने बना। पुरानी कहावत है। चना पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकता है।

3. गाजर में पायरोफॉस्फेट और पादप अम्ल पाए जाते हैं जो पथरी बनने की प्रक्रिया को रोकते हैं। गाजर में पाया जाने वाला केरोटिन पदार्थ मूत्र संस्थान की आंतरिक दीवारों को टूटने-फूटने से बचाता है।

4. इसके अलावा नींबू का रस एवं जैतून का तेल मिलकर तैयार किया गया मिश्रण गुर्दे की पथरी को दूर करने में बहुत हीं कारगर साबित होता है। 60 मिली लीटर नींबू के रस में उतनी हीं मात्रा में जैतून का तेल मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें। इनके मिश्रण का सेवन करने के बाद भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें।
इस प्राकृतिक उपचार से बहुत जल्द हीं आपको गुर्दे की पथरी से निजात मिल जायेगी साथ हीं पथरी से होने वाली पीड़ा से भी आपको मुक्ति मिल जाएगी।

5. पथरी को गलाने के लिये अध उबला चौलाई का साग दिन में थोडी थोडी मात्रा में खाना हितकर होता है, इसके साथ आधा किलो बथुए का साग तीन गिलास पानी में उबाल कर कपडे से छान लें, और बथुये को उसी पानी में अच्छी तरह से निचोड कर जरा सी काली मिर्च जीरा और हल्का सा सेंधा नमक मिलाकर इसे दिन में चार बार पीना चाहिये, इस प्रकार से गुर्दे के किसी भी प्रकार के दोष और पथरी दोनो के लिए साग बहुत उत्तम माने गये है।

6. जीरे को मिश्री की चासनी अथवा शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इसके अलावा तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

7. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें, फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें, उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे, पथरी में लाभ होगा|

8. प्याज में पथरी नाशक तत्व होते हैं। करीब 70 ग्राम प्याज को अच्छी तरह पीसकर या मिक्सर में चलाकर पेस्ट बनालें। इसे कपडे से निचोडकर रस निकालें। सुबह खाली पेट पीते रहने से पथरी छोटे-छोटे टुकडे होकर निकल जाती है।

9. पहाडी कुल्थी और शिलाजीत दोनो एक एक ग्राम को दूध के साथ सेवन करने पथरी निकल जाती है

10. एक मूली को खोखला करने के बाद उसमे बीस बीस ग्राम गाजर शलगम के बीज भर दें,फ़िर मूली को गर्म करके भुर्ते की तरह भून लें,उसके बाद मूली से बीज निकाल कर सिल पर पीस लें,सुबह पांच या छ: ग्राम पानी के साथ एक माह तक पीते रहे,पथरी और पेशाब वाली बीमारियों में फ़ायदा मिलेगा।

11. सूखे आंवले को नमक की तरह से पीस लें,उसे मूली पर लगाकर चबा चबा कर खायें,सात दिन के अन्दर पथरी पेशाब के रास्ते निकल जायेगी,सुबह खाली पेट सेवन करने से और भी फ़ायदा होता है।

12. तुलसी के बीज का हिमजीरा दानेदार शक्कर व दूध के साथ लेने से मूत्र पिंड में फ़ंसी पथरी निकल जाती है।

13. पखानबेद नाम का एक पौधा होता है! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है! उसके पत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरी पथरी खत्म!! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती

14. बथुआ को पानी में उबालकर इसके रस में नींबू, नमक व जीरा मिलाकर नियमित पीने से पेशाब में जलन, पेशाब के समय दर्द तथा पथरी दूर होती है।

16. पथरी से बचाव के लिये रातभर मक्के के बाल (सिल्क) को पानी में भिगाकर सुबह सिल्क हटाकर पानी पीने से लाभ होता है। पथरी के उपचार में सिल्क को पानी में उबालकर बनाये गये काढे का प्रयोग होता है।

17. आम के ताजा पत्ते छाया में सुखाकर, बारीक पीस कर आठ ग्राम मात्रा पानी मे मिलाकर प्रात: काल प्रतिदिन लेने से पथरी समाप्त हो सकती है।

18. दो अन्जीर एक गिलास पानी मे उबालकर सुबह के वक्त पीयें। एक माह तक लेना जरूरी है।




19. कुलथी की दाल का सूप पीने से पथरी निकलने के प्रमाण मिले है। २० ग्राम कुलथी दो कप पानी में उबालकर काढा बनालें। सुबह के वक्त और रात को सोने से पहिले पीयें।एक-दो सप्ताह में गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी गल कर बिना ऑपरेशन के बाहर आ जाती है, लगातार सेवन करते रहना राहत देता है।
कुल्थी का पानी विधिवत लेने से गुर्दे और मूत्रशय की पथरी निकल जाती है और नयी पथरी बनना भी रुक जाता है। किसी साफ सूखे, मुलायम कपड़े से कुल्थी के दानों को साफ कर लें। किसी पॉलीथिन की थैली में डाल कर किसी टिन में या कांच के मर्तबान में सुरक्षित रख लें।


           कुल्थी का पानी बनाने की विधि: किसी कांच के गिलास में 250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुल्थी डाल कर ढक कर रात भर भीगने दें। प्रात: इस पानी को अच्छी तरह मिला कर खाली पेट पी लें। फिर उतना ही नया पानी उसी कुल्थी के गिलास में और डाल दें, जिसे दोपहर में पी लें। दोपहर में कुल्थी का पानी पीने के बाद पुन: उतना ही नया पानी शाम को पीने के लिए डाल दें।इस प्रकार रात में भिगोई गई कुल्थी का पानी अगले दिन तीन बार सुबह, दोपहर, शाम पीने के बाद उन कुल्थी के दानों को फेंक दें और अगले दिन यही प्रक्रिया अपनाएं। महीने भर इस तरह पानी पीने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी धीरे-धीरे गल कर निकल जाती है।

20. स्टूल पर चढकर १५-२० बार फ़र्श पर कूदें। पथरी नीचे खिसकेगी और पेशाब के रास्ते निकल जाएगी। निर्बल व्यक्ति यह प्रयोग न करें।

21. दूध व बादाम का नियमित सेवन से पथरी की संभावना कम होती है।

22. गोखरू 10 ग्राम, जल 150 ग्राम, दूध 250 ग्राम को पकाकर आधा रह जाने पर छानकर नित्य पिलाने से मूत्र मार्ग की सारी विकृतियाँ दूर होती हैं ।

23. गिलास अनन्नास का रस, १ चम्मच मिश्री डालकर भोजन से पूर्व लेने से पिशाब खुलकर आता है और पिशाब सम्बन्धी अन्य समस्याए दूर होती है

24. पथरी होने पर नारियल का पानी पीना चाहिए।इसमें जैविक परमाणु होते हैं जो खनिज पदार्थो को उत्पन्न होने से रोकते हैं .

25. 15 दाने बडी इलायची के एक चम्मच, खरबूजे के बीज की गिरी और दो चम्मच मिश्री, एक कप पानी में मिलाकर सुबह-शाम दो बार पीने से पथरी निकल जाती है।

26. पका हुआ जामुन पथरी से निजात दिलाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पथरी होने पर पका हुआ जामुन खाना चाहिए।
27. सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे की पथरी टूटकर बाहर निकल जाती है।

28. मिश्री, सौंफ, सूखा धनिया लेकर 50-50 ग्राम मात्रा में लेकर डेढ लीटर पानी में रात को भिगोकर रख दीजिए। अगली शाम को इनको पानी से छानकर पीस लीजिए और पानी में मिलाकर एक घोल बना लीजिए, इस घोल को पी‍जिए। पथरी निकल जाएगी।

29.तीन हल्की कच्ची भिंड़ी को पतली-पतली लम्बी-लम्बी काट लें। कांच के बर्तन में दो लीटर पानी में कटी हुई भिंड़ी ड़ाल कर रात भर के लिए रख दें। सुबह भिंड़ी को उसी पानी में निचोड़ कर भिंड़ी को निकाल लें। ये सारा पानी दो घंटों के अन्दर-अन्दर पी लें। इससे किड़नी की पथरी से छुटकारा मिलता है।

30. महर्षि सुश्रुत के अनुसार सात दिन तक गौदुग्ध के साथ गोक्षुर पंचांग का सेवन कराने में पथरी टूट-टूट कर शरीर से बाहर चली जाती है । मूत्र के साथ यदि रक्त स्राव भी होतो गोक्षुर चूर्ण को दूध में उबाल कर मिश्री के साथ पिलाते हैं ।

31. पतंजलि का दिव्य वृक्कदोष हर क्वाथ १० ग्राम ले कर डेढ़ ग्लास पानी में उबाले .चौथाई शेष रह जाने पर सुबह खाली पेट और दोपहर के भोजन के ५-६ घंटे बाद ले .इसके साथ अश्मरिहर रस के सेवन से लाभ होगा . जिन्हें बार बार पथरी बनाने की प्रवृत्ति है उन्हें यह कुछ समय तक लेना चाहिए.


-संकलित
P.S.
FORWARDED AS RECEIVED..
PUBLISHER IS NOT EXPERT IN THIS FIELD OF AAURVED 

व्यसन कसे सोडावे?

मित्रो बहुत से लोग नशा छोडना चाहते है पर उनसे छुटता नहीं है !बार बार वो कहते है हमे मालूम है ये गुटका खाना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे ???
बार बार लगता है ये बीड़ी सिगरेट पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब उठ जाती है तो क्या करे !??
बार बार महसूस होता है यह शाराब पीना अच्छा नहीं है लेकिन तलब हो जाती है तो क्या करे ! ????

तो आपको बीड़ी सिगरेट की तलब न आए गुटका खाने के तलब न लगे ! शारब पीने की तलब न लगे ! इसके लिए बहुत अच्छे दो उपाय है जो आप बहुत आसानी से कर सकते है ! पहला ये की जिनको बार बार तलब लगती है जो अपनी तलब पर कंट्रोल नहीं कर पाते नियंत्रण नहीं कर पाते इसका मतलब उनका मन कमजोर है ! तो पहले मन को मजबूत बनाओ!

मन को मजबूत बनाने का सबसे आसान उपाय है पहले थोड़ी देर आराम से बैठ जाओ ! आलती पालती मर कर बैठ जाओ ! जिसको सुख आसन कहते हैं ! और फिर अपनी आखे बंद कर लो फिर अपनी दायनी(right side) नाक बंद कर लो और खाली बायी(left side) नाक से सांस भरो और छोड़ो ! फिर सांस भरो और छोड़ो फिर सांस भरो और छोड़ो !

बायीं नाक मे चंद्र नाड़ी होती है और दाई नाक मे सूर्य नाड़ी ! चंद्र नाड़ी जितनी सक्रिये (active) होगी उतना इंसान का मन मजबूत होता है ! और इससे संकल्प शक्ति बढ़ती है ! चंद्र नाड़ी जीतने सक्रिये होती जाएगी आपकी मन की शक्ति उतनी ही मजबूत होती जाएगी ! और आप इतने संकल्पवान हो जाएंगे ! और जो बात ठान लेंगे उसको बहुत आसानी से कर लेगें ! तो पहले रोज सुबह 5 मिनट तक नाक की right side को दबा कर left side से सांस भरे और छोड़ो ! ये एक तरीका है ! और बहुत आसन है ।

दूसरा एक तरीका है आपके घर मे एक आयुर्वेदिक ओषधि है जिसको आप सब अच्छे से जानते है और पहचानते हैं ! राजीव भाई ने उसका बहुत इस्तेमाल किया है लोगो का नशा छुड्वने के लिए ! और उस ओषधि का नाम है अदरक ! और आसानी से सबके घर मे होती है ! इस अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! जब भी दिल करे गुटका खाना है तंबाकू खाना है बीड़ी सिगरेट पीनी है ! तो आप एक अदरक का टुकड़ा निकालो मुंह मे रखो और चूसना शुरू कर दो ! और यह अदरक ऐसे अदबुद चीज है आप इसे दाँत से काटो मत और सवेरे से शाम तक मुंह मे रखो तो शाम तक आपके मुंह मे सुरक्षित रहता है ! इसको चूसते रहो आपको गुटका खाने की तलब ही नहीं उठेगी ! तंबाकू सिगरेट लेने की इच्छा ही नहीं होगी शराब पीने का मन ही नहीं करेगा !
बहुत आसन है कोई मुश्किल काम नहीं है ! फिर से लिख देता हूँ !

अदरक के टुकड़े कर लो छोटे छोटे उस मे नींबू निचोड़ दो थोड़ा सा काला नमक मिला लो और इसको धूप मे सूखा लो ! सुखाने के बाद जब इसका पूरा पानी खतम हो जाए तो इन अदरक के टुकड़ो को अपनी जेब मे रख लो ! डिब्बी मे रखो पुड़िया बना के रखो जब तलब उठे तो चूसो और चूसो !
जैसे ही इसका रस लाड़ मे घुलना शुरू हो जाएगा आप देखना इसका चमत्कारी असर होगा आपको फिर गुटका –तंबाकू शराब –बीड़ी सिगरेट आदि की इच्छा ही नहीं होगी ! सुबह से शाम तक चूसते रहो ! और 10 -15 -20 दिन लगातार कर लिया ! तो हमेशा के लिए नशा आपका छूट जाएगा !

आप बोलेगे ये अदरक मैं ऐसे क्या चीज है !????

यह अदरक मे एक ऐसे चीज है जिसे हम रसायनशास्त्र (क्मिस्ट्री) मे कहते है सल्फर !
अदरक मे सल्फर बहुत अधिक मात्रा मे है ! और जब हम अदरक को चूसते है जो हमारी लार के साथ मिल कर अंदर जाने लगता है ! तो ये सल्फर जब खून मे मिलने लगता है ! तो यह अंदर ऐसे हारमोनस को सक्रिय कर देता है ! जो हमारे नशा करने की इच्छा को खत्म कर देता है !

और विज्ञान की जो रिसर्च है सारी दुनिया मे वो यह मानती है की कोई आदमी नशा तब करता है ! जब उसके शरीर मे सल्फर की कमी होती है ! तो उसको बार बार तलब लगती है बीड़ी सिगरेट तंबाकू आदि की ! तो सल्फर की मात्रा आप पूरी कर दो बाहर से ये तलब खत्म हो जाएगी ! इसका राजीव भाई ने हजारो लोगो पर परीक्षण किया और बहुत ही सुखद प्रणाम सामने आए है ! बिना किसी खर्चे के शराब छूट जाती है बीड़ी सिगरेट शराब गुटका आदि छूट जाता है ! तो आप इसका प्रयोग करे !

और इसका दूसरे उपयोग का तरीका पढे !

अदरक के रूप मे सल्फर भगवान ने बहुत अधिक मात्रा मे दिया है ! और सस्ता है! इसी सल्फर को आप होमिओपेथी की दुकान से भी प्राप्त कर सकते हैं ! आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दावा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दावा देदेगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !

तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर दाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियाकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियकरों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियकारों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !

तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप कोई भी होमिओपेथी की दुकान मे चले जाओ और विक्रेता को बोलो मुझे सल्फर नाम की दावा देदो ! वो देदेगा आपको शीशी मे भरी हुई दावा देदेगा ! और सल्फर नाम की दावा होमिओपेथी मे पानी के रूप मे आती है प्रवाही के रूप मे आती है जिसको हम Dilution कहते है अँग्रेजी मे !

तो यह पानी जैसे आएगी देखने मे ऐसे ही लगेगा जैसे यह पानी है ! 5 मिली लीटर दवा की शीशी 5 रूपये आती है ! और उस दवा का एक बूंद जीभ पर दाल लो सवेरे सवेरे खाली पेट ! फिर अगले दिन और एक बूंद डाल लो ! 3 खुराक लेते ही 50 से 60 % लोग की दारू छूट जाती है ! और जो ज्यादा पियाकड़ है !जिनकी सुबह दारू से शुरू होती है और शाम दारू पर खतम होती है ! वो लोग हफ्ते मे दो दो बार लेते रहे तो एक दो महीने तक करे बड़े बड़े पियकरों की दारू छूट जाएगी !राजीव भाई ने ऐसे ऐसे पियकारों की दारू छुड़ाई है ! जो सुबह से पीना शुरू करते थे और रात तक पीते रहते थे ! उनकी भी दारू छूट गई बस इतना ही है दो तीन महीने का समय लगा !

तो ये सल्फर अदरक मे भी है ! होमिओपेथी की दुकान मे भी उपलब्ध है ! आप आसानी से खरीद सकते है !लेकिन जब आप होमिओपेथी की दुकान पर खरीदने जाओगे तो वो आपको पुछेगा कितनी ताकत की दवा दूँ ??!
मतलब कितनी Potency की दवा दूँ ! तो आप उसको कहे 200 potency की दवा देदो ! आप सल्फर 200 कह कर भी मांग सकते है ! लेकिन जो बहुत ही पियकर है उनके लिए आप 1000 Potency की दवा ले !आप 200 मिली लीटर का बोतल खरीद लो एक 150 से रुपए मे मिलेगी ! आप उससे 10000 लोगो की शराब छुड़वा सकते हैं ! मात्र एक बोतल से ! लेकिन साथ मे आप मन को मजबूत बनाने के लिए रोज सुबह बायीं नाक से सांस ले ! और अपनी इच्छा शक्ति मजबूत करे !!!

अब एक खास बात !

बहुत ज्यादा चाय और काफी पीने वालों के शरीर मे arsenic तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप arsenic 200 का प्रयोग करे !

गुटका,तंबाकू,सिगरेट,बीड़ी पीने वालों के शरीर मे phosphorus तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप phosphorus 200 का प्रयोग करे !

और शराब पीने वाले मे सबसे ज्यादा sulphur तत्व की कमी होती है !
उसके लिए आप sulphur 200 का प्रयोग करे !!

सबसे पहले शुरुवात आप अदरक से ही करे !!

आपने पूरी पोस्ट पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !
अमर शहीद राजीव दीक्षित जी की जय !

वन्देमातरम !



P.S.
FORWARDED AS RECEIVED..
PUBLISHER IS NOT EXPERT...

मुनक्का

🍃 आरोग्यं :-
मुनक्का (बड़ी दाख) के औषधीय उपयोग इस
प्रकार हैं-
- शाम को सोते समय लगभग 10 या 12मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह
उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर इन मुनक्कों को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून
बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बंद हो जाता है।
मुनक्का का सेवन 2 से 4 हफ्ते तक करना चाहिए।

- 250 ग्राम दूध में 10 मुनक्का उबालें फिर दूध में एक चम्मच घी व खांड मिलाकर सुबह पीएं। इससे वीर्य के
विकार दूर होते हैं। इसके उपयोग से हृदय, आंतों और खून के विकार दूर हो जाते हैं। यह कब्जनाशक है।

- मुनक्का का सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। भूने हुए मुनक्के में लहसुन मिलाकर सेवन करने से पेट में
रुकी हुई वायु (गैस) बाहर निकल जाती है और कमर के दर्द में लाभ होता है।

- जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या नजला एलर्जी के कारण गले में तकलीफ
बनी रहती है, उन्हें सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पांच मुनक्का बीजों को खूब चबाकर खा ला लें, लेकिन ऊपर से
पानी ना पिएं। दस दिनों तक निरंतर ऐसा करें।

- जो बच्चे रात्रि में बिस्तर गीला करते हों, उन्हें दो मुनक्का बीज निकालकर रात को एक सप्ताह तक खिलाएं।

- सर्दी-जुकाम होने पर सात मुनक्का रात्रि में सोने से पूर्व बीज निकालकर दूध में उबालकर लें। एक खुराक से ही राहत मिलेगी। यदि सर्दी-जुकाम पुराना हो गया हो तो सप्ताह भर तक लें।


P.S.
FORWARDED AS RECEIVED..
PUBLISHER IS NOT EXPERT...

Wednesday, 1 February 2017

हर रोग की दवा गौमूत्र

🌺🙏 ॥श्री सुरभ्यै नमः॥ 🙏🌺

💐हर रोग की दवा गौमूत्र💐

गौमूत्र ही एक ऐसा द्रव्य है,जिसमें अनेक रोगों से लड़ने की शक्ति समाहित है।

गौमूत्र अर्क-यह लघु,रूक्ष,तीक्ष्ण,रस में कटु लवण,विपाक में कटु और उष्ण वीर्य वाला होता है।इसमें ताम्बें का अशं होता है,जो शरीर में स्वर्ण तत्व में परिवर्तित हो जाता है। इससे रोगों से लड़ने की क्षमता में खासी बढ़ोतरी होती है। गौमुत्र पीने या उसमें तीन दिन रखने से विष मुक्त हो जाता है।

गौमूत्र एक तरह का रासायनिक संगठक है। १५०० सीसी गौमूत्र में ठोस पदार्थ ६० ग्राम व १४४० ग्राम द्रव भाग होता है | ६० ग्राम ठोस पदार्थ में 35 ग्राम सेन्द्रिय व २५ ग्राम निनिन्द्रिय पदार्थ होते है,गौमूत्र का मुख्य संगठक जल,यूरिया,सोडियम,पोटेशियम,क्लोराइड,अम्ल,क्षार व लवण होते है।

गौमूत्र अर्क में अद्भुत शक्ति समाहित है। इसके सेवन से पेट के रोगों के अलावा शरीर के अन्य गंभीर रोगों से भी निजात मिल सकती है।

   💐सेवन विधी :-

दर्द में गौमूत्र अर्क की मालिश भी की जाती है। प्रतिशयाय,सिर दर्द में नस्य के रूप में प्रयोग होता है। एनिमा में प्रयोग होता है।

गौमूत्र अर्क ५-१० एमएल १०० एमएल पानी में मिलाकर भूखे पेट पीना चाहिए। पथ्य-गौमूत्र अर्क पीने के आधा घंटे बाद दुध या भोजन लेना चाहिए।

👉सावधानियाँ-

1.गौमूत्र अर्क देशी नस्ल की गोमाता के मूत्र से बना हुआ होना चाहिए।
2.बछडी के गौमूत्र से बना अर्क सर्वश्रेष्ठ होता है।
3.बछडी रोगी या गर्भवती नहीं हो।

💐रोगों का निवारण:-

अर्क का उपयोग मुख्यत: यकृत के रोग,चर्म के रोग,पेट के रोग,हृदय के रोग,गुप्त रोगों व श्वासं के रोगों में किया जाता है। यह सभी तरह के रोगों में लाभप्रद है।

💐कैंसर में फायदेमंद:-

कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग में लाए जाते है। गौमूत्र में विद्यमान सोडियम,पोटेशियम,मैग्नेशियम,फास्फोरस,सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने लगते है और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है।
कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है। अर्क आँपरेशन के बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है। यानी गौमूत्र में इस लााइलाज बीमारी को दूर करने की शक्ति समाहित है।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करे श्री पथमेड़ा गौधाम मुम्बई ब्रांच अब आप घर बेठे हमे आर्डर करे पुरे महारष्ट्र में व्हॉसले व् रिटेल अभी संपर्क करे हमारी हेल्प लाइन नंबर पर 9664081008
 9920743357 नरेश जोशी

 🙏गौमाता हम सब को प्रिय हो🙏

🌺🙏 ॥वन्दे गौ मातरम्॥ 🙏🌺

FORWARDED AS RECEIVED...
PUBLISHER IS NOT EXPERT...

पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद

ये जानना बहुत जरुरी है ...
हम पानी क्यों ना पीये खाना खाने के बाद।  क्या कारण है |

हमने दाल खाई, हमने सब्जी खाई,  हमने रोटी खाई, हमने दही खाया लस्सी पी , दूध,दही छाझ लस्सी फल आदि|,
ये सब कुछ भोजन के रूप मे हमने ग्रहण किया  ये सब कुछ हमको उर्जा देता है  और पेट उस उर्जा को आगे ट्रांसफर करता है |  पेट मे एक छोटा सा स्थान होता है  जिसको हम हिंदी मे कहते है "अमाशय" उसी स्थान का संस्कृत नाम है "जठर"|

ये एक थेली की तरह होता है  और यह जठर हमारे शरीर मे सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि सारा खाना सबसे पहले
इसी मे आता है।

ये बहुत छोटा सा स्थान हैं इसमें अधिक से अधिक 350GMS खाना आ सकता है | हम कुछ भी खाते सब
ये अमाशय मे आ जाता है|

आमाशय मे अग्नि प्रदीप्त होती है उसी को कहते हे"जठराग्न"।ये जठराग्नि है वो अमाशय मे प्रदीप्त होने वाली आग है ।

ऐसे ही पेट मे होता है जेसे ही आपने खाना खाया की जठराग्नि प्रदीप्त हो गयी |
यह ऑटोमेटिक है,जेसे ही अपने रोटी का पहला टुकड़ा मुँह मे डाला
की इधर जठराग्नि प्रदीप्त हो गई| ये अग्नि तब तक जलती हे जब तक खाना पचता है | 

अब अपने खाते ही गटागट पानी पी लिया और खूब ठंडा पानी पी लिया और कई लोग तो बोतल पे बोतल पी जाते है |

अब जो आग (जठराग्नि) जल रही थी वो बुझ गयी |आग अगर बुझ गयी तो खाने की पचने की जो क्रिया है वो रुक गयी |

अब हमेशा याद रखें खाना जाने पर हमारे पेट में दो ही क्रिया होती है,

एक क्रिया है जिसको हम कहते हे "Digestion"  और दूसरी है "Fermentation"
फर्मेंटेशन का मतलब है सडना और डायजेशन का मतलब हे पचना|

आयुर्वेद के हिसाब से आग जलेगी तो खाना पचेगा, खाना पचेगा तो उससे रस बनेगा|

जो रस बनेगा तो उसी रस से मांस,मज्जा,रक्त,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र और अस्थि बनेगा
और सबसे अंत मे मेद बनेगा |ये तभी होगा जब खाना पचेगा यह सब हमें चाहिए |

ये तो हुई खाना पचने की बात


अब जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा..?

खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो हे यूरिक एसिड (uric acid )

कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है, मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है
तो डॉक्टर कहेगा आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप ये दवा खाओ, वो दवा खाओ यूरिक एसिड कम करो|

और एक दूसरा उदाहरण खाना जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जेसा ही
एक दूसरा विष बनता है जिसको हम कहते हे LDL (Low Density lipoprotive)
माने खराब कोलेस्ट्रोल (cholesterol )

जब आप ब्लड प्रेशर(BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वो आपको कहता है हाई-बीपी है
आप पूछोगे कारण बताओ? तो वो कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है |

आप ज्यादा पूछोगे की कोलेस्ट्रोल कौनसा बहुत है ? तो वो आपको कहेगा LDL बहुत है |

इससे भी ज्यादा खतरनाक एक  विष हे
वो है VLDL
(Very Low Density lipoprotive)|

ये भी कोलेस्ट्रॉल जेसा ही विष है।अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो  आपको भगवान भी नहीं बचा सकता|

तो कोई यूरिक एसिड के नाम से कहे, कोई कोलेस्ट्रोल के नाम से कहे,  कोई LDL -VLDL के नाम से कहे
समझ लीजिए की ये विष हे और ऐसे विष 103 है |

ये सभी विष तब बनते है  जब खाना सड़ता है |

मतलब समझ लीजिए किसी का कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट मे ध्यान आना  चाहिए की खाना पच नहीं रहा है ,

कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक ही मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है |

क्योंकि खाना पचने पर इनमे से कोई भी जहर नहीं बनता|

खाना पचने पर जो बनता है वो है मांस,मज्जा,रक्त ,वीर्य,हड्डिया,मल,मूत्र,अस्थि

और

खाना नहीं पचने पर बनता है यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल,LDL-VLDL और यही आपके शरीर को रोगों का घर बनाते है !

पेट मे बनने वाला यही जहर जब ज्यादा बढ़कर खून मे आते है !
तो खून दिल की नाड़ियो मे से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे आया है इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है जिसे आप heart attack कहते हैं !

तो हमें जिंदगी मे ध्यान इस बात पर देना है की जो हम खा रहे हे वो शरीर मे ठीक से पचना चाहिए और खाना ठीक से पचना चाहिए इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए|

क्योंकि बिना आग के खाना पचता नहीं हे और खाना पकता भी नहीं है

महत्व की बात खाने को खाना नहीं खाने को पचाना है |आपने क्या खाया कितना खाया वो महत्व नहीं हे।

खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया !!

"भोजनान्ते विषं वारी"
(मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है )

इसलिए खाने के तुरंत बाद पानी कभी मत पिये!

अब आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ???

तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना !

अब आप कहेंगे इसका क्या calculation हैं ??

बात ऐसी है !

जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है !

पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है !

उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है !(बुझती तो नहीं लेकिन बहुतधीमी हो जाती है )

पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस बनने की परिक्रिया शुरू होती है !तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं । तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये !!

जो बहुत मेहनती लोग है उनको 1 घंटे के बाद ही रस बननेलगता है उनको  घंटे बादपानी पीना चाहिए !

अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं ???

तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं !

अब आप पूछेंगे ये मिनट का calculation ????

बात ऐसी ही जब हम पानी पीते हैं तो वो शरीर के प्रत्येक अंग तक जाता है !

और अगर बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है !

तो पानी - पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है !

तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पाने पिये !

इसका जरूर पालण करे !
धन्यवाद !



FORWARDED AS RECEIVED..
AUTHOR/SOURCE UNKNOWN..

उपाय

(1.)खड़े -खड़े पानी पीने से घुटनों में दर्द की बीमारी होती है इसलिए पानी हमेशा बैठ कर पीना चाहिए ।

(2.) हमारे शरीर की बनावट के अनुसार यदि हम खड़े हो कर खाना खायेंगें तो पेट खराब ही होगा अतः कभी भी खड़े हो कर खाना न खाएं ।

(3.)नक्क्सीर आने पर तुरंत नाक में देशी घी लगाना चाहिए ,नाक से खून आना तुरंत बंद हो जाता है।  (4.)बच्चों को पेशाब ना उतारे तो स्नान घर में ले जाकर टूटी खोल दें पानी गिराने की आवाज़ सुनकर बच्चे का पेशाब उतर जायेगा।

(5.)बस में उलटी आती हो तो सीट पर अखबार रखकर बैठने से ,उलटी नहीं आती।

(6.)कद बढ़ाने के लिए अश्वगंधा व मिश्री बराबर मात्रा में चूरन बना कर १ चम्मच भोजन के बाद लें

(7.)बाल गिरने लगें हों तो १००ग्राम नारियल तेल में १०ग्राम देशी कपूर मिलाकर जड़ों में लगायें

(8.)सर में खोरा हो ,शरीर पर सूखी खुजली हो तो भी इसी तेल को लगाने से लाभ मिलता है

(9.)आधा सर दर्द होने पर,दर्द होने वाली साईड की नाक में २-३ बूँद सरसों का तेल जोर से सूंघ लें

(10.)जुकाम होने पर सुहागे का फूला १ चम्मच ,गर्म पानी में घोल कर पी लें १५ मिनट में जुकाम गायब

(11.)चहरे को सुन्दर बनाने के लिए १चम्म्च दही में २ बूंद शहद मिला कर लगायें १० मिनट बाद धो लें

(12.)इसी नुसखे को पैरो की बिवाईयों में भी प्रयोग कर सकतें हैं , लाभ होगा

(13.)हाई बी.पी. ठीक करने के लिए १ चम्मच प्याज़ का रस में १ चम्मच शहद मिलाकर चाटें (शुगर के रोगी भी ले सकतें हैं)

(14.)लो बी.पी.ठीक करने के लिए ३२ दाने किसमिस के रात को कांच के गिलास में भिगो दें सुबह १-१ दाना चबा-चबा कर खाएं (रोज़ ३२ दाने खाने हैं ३२ दिनों तक)

(15.)कब्ज़ ठीक करने के लिए अमलताश की फली (२ इंच)का काढ़ा बनाकर शाम को भोजन के बाद पियें

(16.)कमर में दर्द होने पर १०० ग्राम खसखस में १०० ग्राम मिश्री मिला कर चूर्ण बनायें,भोजन के बाद १ चम्मच गर्म दूध से लें

(17.)सर चक्कर आने पर १ चम्मच धनियाँ चूर्ण में १ चम्मच आंवला चूर्ण मिलाकर ठन्डे पानी से लें

(18.)दांतों में दर्द होने पर १ चुटकी हल्दी ,१ चुटकी काला नमक ,५ बूंद सरसों तेल मिलाकर लगायें

(19.)टौंसिल होने पर अमलताश की फली के काढ़े से गरारे करें ,ठीक हो जाये।

(20.) सुबह उठकर बिना कुल्ला किये 3 गिलास पानी बैठ कर घूँट घूँट पीने से पेट सही रहता है और कब्ज की समस्या नहीं रहती ।

अब बात हमसे निकली है तो दूर तक पहोचनी चाहिए।
आप दिन शुभ रहे ॥


-संकलित
forwarded as received
take expert advice

प्रश्नोत्तरे

🍁 निरोगधाम पत्रिका 🍁
🙏🏻जीवनोपयोगी🙏🏻

1. सकाळी उठून कोणते पाणी प्यावे?
उत्तर. - थोड़े हल्के गरम पाणी.

2. पिण्याचे पाणी कसे प्यावे?
उत्तर. - घोट-घोट व खाली बसून प्यावे.

3. जेवण किती वेळा चावून खाणे योग्य आहे?
उत्तर. - 32 वेळा.

4. पोट भरून जेवण केव्हा करावे?
उत्तर. - सकाळी.

5. सकाळचा नाश्ता केव्हा पर्यन्त खाऊ शकता?
उत्तर. - सूर्य उगवण्याच्या अडीच तासापर्यन्त.

6. सकाळच्या जेवणासोबत नेहमी काय प्यावे?
उत्तर. - ज्यूस

7. दुपारच्या जेवणासोबत नेहमी काय प्यावे?
उत्तर. - लस्सी किंवा ताक.

8. रात्रीच्या जेवणासोबत नेहमी काय प्यावे?
उत्तर. - दूध

9. आंबट फळे केव्हा खाणे योग्य नाही?
उत्तर. - रात्रीच्या वेळी कधीही खाऊ नये.

10. आईसक्रीम केव्हा खावी?
उत्तर. - कधीही नाही.

11. फ्रिज मधून काढलेले पदार्थ केव्हा खावेत?
उत्तर. - 1 तासानंतर

12. शीतपेय प्यावे का?
उत्तर. - अजिबात नाही.

13. तयार झालेले जेवण किती वेळेत खावे?
उत्तर. - 40 मिनिटांंत

14. दुपारचे जेवण किती प्रमाणात करावे?
उत्तर. - थोड़ी भूक असू द्यावी.

15. रात्रीचे जेवण केव्हा करणेे योग्य आहे?
उत्तर. - सूर्य मावळण्या आधी

16. जेवण करण्याअगोदर किती वेळ अगोदर पाणी पिऊ शकता?
उत्तर. - 48 मिनिटे अगोदर

17. काय रात्री लस्सी पिऊ शकतो?
उत्तर. - नाही

18. सकाळी जेवण केल्यानंतर काय करावे?
उत्तर. - काम

19. दुपारच्या जेवनानंतर काय करावे?
उत्तर. - विश्रांती

20. रात्री जेवण केल्यानंतर काय करावे?
उत्तर. - कमीत कमी 500 मीटर एक फेर फटका जरूर मारावा.

21. जेवण केल्यानंतर नेहमी काय करावे?
उत्तर. - वज्रासन

22. जेवण झाल्यावर वज्रासन किती वेळ करावे?
उत्तर. - 5 -10 मिनिटे

23. सकाळी उठल्यावर डोळ्यात काय टाकावे?
उत्तर. - तोंडाची लाळ

24. रात्री किती वाजन्याच्या आत झोपावे?
उत्तर. - 9 - 10 वाजे पर्यन्त

25. तीन विष कोणते?
उत्तर.- साखर , मैदा व मीठ.

26. जेवण किती प्रमाणात असावे?
उत्तर.- जेवण कधीही पोट भरून करू नये.थोडी भूक नेहमी ठेवावी.

27. रात्री सलाड खावे का?
उत्तर. - नाही.

28. जेवण नेहमी कसे करावे?
उत्तर. - खाली जमिनीवर बसून व व्यवस्थित चावून खावे.

29. विदेशी पदार्थ खरेदी कराव का?
उत्तर. - कधीच खरेदी करू नये.

30. चहा केव्हा प्यायला पाहिजे?
उत्तर. - कधीच नाही.

31. दुधात नेहमी काय टाकून प्यावे?
उत्तर. - हळद

32. दूधात हळद टाकून का प्यावे?
उत्तर. - कैंसर न होण्यासाठी

33. कोणती चिकित्सा पद्धति आरोग्यसाठी चांगली आहे?
उत्तर. - आयुर्वेद

34. सोन्याच्या भांड्यातील पानी केव्हा पीणेे चांगले असते?
उत्तर. - ऑक्टोम्बर ते मार्च (हिवाळयात)

35. तांब्याच्या भांडीतील पानी केव्हा पिने चांगले असते?
उत्तर. - जून ते सप्टेंबर (पावसाळयात)

36. माठाचे पाणी केव्हा प्यायला पाहिजे?
उत्तर. - मार्च ते जून (उन्हाळ्यात)

37. सकाळी उठल्या उठल्या किती ग्लास पाणी प्यायला पाहिजे?
उत्तर. - कमीत कमी 2 - 3 ग्लास

38. पहाटे केव्हा उठावे?
उत्तर. - सूर्य उगवण्याच्या दीड तास आधी.

ह्या आरोग्य टिप्स आपल्यासाठी बहुमूल्य आहेत.जास्तीत जास्त ह्या टिप्सचा वापर करुन आपले आरोग्य सुदृढ़ करा.

हार्ट अटॅक..???

✅हार्ट अटॅक..???

घाबरू नका..!!!
सहज सुलभ उपाय...!


99 टक्के  ब्लॉकेजेसना
 काढून टाकणारे
पिंपळाचे पान...💚


15 पिंपळाची पाने
जी  गुलाबी  नसावीत,
 पण हिरवी,
कोवळी,
चांगली वाढलेली असावीत...

प्रत्येक पानांचे
 वरचे टोक
 व
 खालचा जाड देठ
पानाचा थोडाश्या भागासकट
 कापून टाका,

मग सर्व पंधरा पाने
स्वच्छ धुवून घ्या.

एका भांड्यात
ही पाने

एक ग्लास पाणी घालून
 मंद आचेवर उकळत ठेवा.

जेव्हा पाणी (1/3)
एक त्रितीयांश उरेल
तेव्हा
उकळवणे बंद करा
 व
गाळून घ्या...

नंतर थंड जागी ठेवा.
झाले आपले औषध तयार...!
 ☕...☕...☕


हा काढा
'तीन भागात'
प्रत्येक तीन तासांनी
 सकाळपासून घ्यावयाचा आहे.

💔हार्ट अटॅक नंतर
लागोपाठ पंधरा दिवस
अशा प्रकारे
पिंपळकाढा घेतल्याने
 ह्रदय पुनः स्वस्थ होते💝
 व
पुन्हा हा दौरा पडण्याची
 शक्यता राहात नाही...

ह्रदय विकारी व्यक्तींनी
 ह्या ईलाजाचा प्रयोग
अवश्य करून पहावा..

 यातून कोणताही
साईड इफेक्ट होत नाही..!

💚पिंपळाच्या पानात
ह्रदयाला शक्ति
आणि
शांती देण्याची
अदभूत क्षमता आहे..!

💚ह्या पिंपळकाढ्याचे
 तीन डोस
 सकाळी 8.00वा.,
 11.00वा.,

 2.00वा.
म्हणजे दर तीन तासांनी
 घ्यावयाचे आहेत....

💙डोस घेण्यापूर्वी
पोट रिकामी असता कामा नये.

 हलका,
पाचक नाश्ता
किंवा
 आहार केल्यानंतरच
 काढ्याचे डोस घ्यावयाचा आहे.

💜सदरच्या
 पंधरा दिवसांत
 तळलेले पदार्थ,
भात व्यर्ज आहेत...

तसेच
मांस,
अंडी,
दारु,
धुम्रपान
पूर्णतः बंद करावीत...

 मीठ

तेलकट पदार्थ
सेवन करू नये...


💖डाळींब,
पपई,
आवळा,
लसूण,
मेथी,
सफरचंद,
 मोसंबी,
रात्री भिजवलेले काळे चणे,
 गुगूळ,
मनुका,
दही,
ताक इ. घ्यावे...

"पिंपळकाढा घेऊन तर बघा..!"


🙏
भगवंताने
पिंपळाचे पान
💚
ह्रदयाच्या आकाराचे
कां बनविले आहे..?
💝💝💝💝💝
       💝💝💝💝💝
              💝💝💝💝💝


हे आर्टीकल
आपल्या पर्यंत
 डॉ.उदय  सोनवणे  (मुंबई )
 यांनी पाठवले आहे..!!!
🌴  आरोग्य वार्ता🌴

 "पाणी पिण्याची योग्य वेळ"

● 3 ग्लास सकाळी झोपेतुन उठल्यानंतर -
शरीरातील उर्जेला Activate
करतो.

● 1 ग्लास अंघोळ केल्यानंतर -
ब्लड प्रेशर त्रास संपवतो.

● 2 ग्लास जेवणाआधी 30 मिनीटे -
पचनक्रिया सुधारतो.

● अर्धा ग्लास झोपण्यापुर्वी -
हार्ट अटैक पासुन वाचवतो.

चांगला मैसेज आहे.
जरुर फॉरवर्ड करा..
🌴🍃🌴🍃 🔦🔦🔦🔦🔦🔦🔦🔦🔦🔦जर तुम्ही घरी एकटे असाल, आणि अचानक तुमच्या छातीतदुखायला लागले,हे दुखणे जर तुमच्या डाव्या हातापासून तुमच्या जबड्या पर्यंतजाणवत असेल..तर हा हृदय विकाराचा झटका असू शकतो....जर आजू-बाजूला कोणीच मदत करण्यासाठी नसेलआणि हॉस्पिटल सुद्धा दूर असेnल, तर तुम्ही स्वत:ची मदत करूशकता....* जोर-जोरात खोकत रहा. हि प्रक्रिया पुन्हा-पुन्हा करत रहा.* प्रत्येक वेळी खोकन्या आधी दीर्घ श्वास घ्या.* दीर्घ श्वासामुळे फुप्फुशांना अधिक प्रमाणात ऑक्सिजनमिळतो.* अशा वेळी खोकत राहिल्याने रक्ताभिसरण प्रक्रिया सुरळीतचालू राहते.मी, आपणांस एक विनंती करू इच्छितो.. कृपया जास्तीत जास्तलोकांना हि पोस्ट शेअ
र करा.का, कुणास ठाऊक, तुमच्या ह्या एका पोस्टमुळे एखाद्याचे प्राणवाचू शकतात......करा फॉरवर्ड होऊ दे खर्च  जरा चांगल्या कामासाठी
- डॉ.  उदय  सोनवणे  (मुंबई )

-संकलित
forwarded as received
take expert advice